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'संजीवनी' जुटाने नया प्लान, ऑक्सीजन का प्रबंध कर रही अफसरों की टीम

सागर में अप्रैल महीने की शुरूआत में ही जिले में ऑक्सीजन की कमी शुरू हो गई थी. लिहाजा समस्या से निपटने के लिए अफसरों की एक टीम बनाई गई, जिसे ऑक्सीजन का प्रबंध करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. दिन-रात मेहनत कर इस स्पेशल टीम के अफसर कई हद तक ऑक्सीजन का प्रबंध करने में सफल भी रहे.

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Published : May 5, 2021, 4:53 PM IST

special officers team arranging oxygen for covid patients in sagar
सागर में ऑक्सीजन का प्रबंध कर रही अफसरों की टीम

सागर।कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. मध्य प्रदेश का सागर वह शहर है, जहां अप्रैल महीने की शुरुआत से ही ऑक्सीजन की किल्लत शुरू हो गई थी. ऑक्सीजन नहीं होने से बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में अफरा-तफरी मची. और स्थिति ये रही कि मरीजों को जिला अस्पताल तक शिफ्ट करना पड़ा. जिले में हालात बिगड़े तो प्रशासन ने अफसरों की एक टीम तैयार कर दी. जिसे ऑक्सीजन या कहें 'संजीवनी' जुटाने का जिम्मा सौंपा गया. इस व्यवस्था को सुचारू बनाने की कोशिश की गई. अफसरों और कर्मचारियों की दिन-रात मेहनत के चलते जिलेभर में ऑक्सीजन की सप्लाई फिर से सुचारू हो पाई है.

ऑक्सीजन जुटाने के लिए ऑपरेशन 'संजीवनी'

'संजीवनी' जुटाने दिन-रात मेहनत

बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी होते ही ये आभास हो गया था कि परेशानी बड़ी है. लिहाजा पहले ही प्रशासन ने इसके लिए प्लान तैयार कर लिया था. ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए प्रशासन ने स्पेशल टीम बनाई. इस टीम पर ऑक्सीजन जुटाने से लेकर उसे अस्पताल और मरीजों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी. टीम में दर्जनों अफसर और कर्मचारी तैनात किए गए, जो पिछले 3 हफ्तों से दिन-रात इसी काम में जुटे हैं. इस टीम में समन्वय की जिम्मेदारी जिला पंचायत CEO इच्छित गढ़पाले को सौंपी गई है. यूपी सरकार की तरफ से रोके गए टेंकर को सागर लाने में इनकी अहम भूमिका रही थी. बोकारो से चली स्पेशल ट्रेन से ऑक्सीजन सुरक्षित पहुंचाने तक की जिम्मेदारी भी जिला पंचायत CEO की ही थी. इसके अलावा हर मोर्चे पर जिला पंचायत CEO ही तैनात नजर आते हैं. इनपर कम से कम 2 दिन के लिए ऑक्सीजन का बैकअप रखने की भी जिम्मेदारी है.

दिन-रात काम कर रही अफसरों की टीम

तहसीलदार भी मोर्चे पर तैनात

तहसीलदार सतीश वर्मा की तैनाती ऑक्सीजन प्लांट पर की गई है. जहां से तमाम अस्पताल, कोविड केयर सेंटर और निजी मांग वाले लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराए जाते हैं. सतीश वर्मा पिछले 13 अप्रैल से सुबह होते ही ऑक्सीजन प्लांट पहुंच जाते हैं. सभी अस्पतालों, निजी नर्सिंग होम और कोविड केयर सेंटर के अलावा घर पर इलाज करा रहे मरीजों के लिए ऑक्सीजन का इंतजाम करना इन्हीं की जिम्मेदारी है. तहसीलदार बताते हैं, 'बीच में लिक्विड ऑक्सीजन की कमी के चलते परेशानी आई थी, लेकिन अब हमें पर्याप्त लिक्विड मिल रही है. अस्पतालों के मरीजों की खपत को देखते हुए सभी जगह पर्याप्त व्यवस्थाएं की जा रही हैं.'

दिन-रात काम कर रही अफसरों की टीम

'3 दिन का पर्याप्त ऑक्सीजन स्टॉक'

प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद जिले में ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था जरूर सुधरी है. ये कहना जिले में ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था संभाल रहे जिला पंचायत सीईओ का है. इच्छित गढ़पाले बताते हैं, 'शासन जिस हिसाब से हमें सप्लाई दे रहा है, उस आधार पर हम हॉस्पिटल और अन्य सभी जगहों पर मेडिकल यूज के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध करा रहे हैं. छोटे नर्सिंग होम और एंबुलेंस में भी पर्याप्त ऑक्सीजन दी जा रही है. पिछले कुछ दिनों से किसी तरह की कमी नहीं बनी हुई है. अगले 3 दिनों के लिए पर्याप्त स्टॉक भी है.'

24 घंटे एक्टिव मोड पर रहती है टीम

जिले में लोगों तक ऑक्सीजन नामक 'संजीवनी' पहुंचाने की जिम्मेदारी इसी स्पेशल टीम की है. ये स्पेशल टीम हमेशा ही एक्टिव मोड पर रहती है. जिला पंचायत सीईओ बताते हैं कि मौजूदा स्थिति में ऑक्सीजन ऐसा मुद्दा है कि वह और उनकी टीम न तो मोबाइल वाइब्रेशन में डालते हैं न ही उसे बंद करते हैं. कब किसको कैसी जरूरत पड़ जाए कहा नहीं जा सकता. इसलिए टीम के सभी सदस्य 24 घंटे एक्टिव मोड पर रहते हैं.

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