सागर(Sagar)। ग्वालियर चंबल इलाके की चंबल नदी में पाए जाने वाले विलुप्त प्राय लाल तिलकधारी कछुआ और पैंगोलिन अंतरराष्ट्रीय तस्करी के बड़े मामले में सागर जिला न्यायालय की स्पेशल कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए 13 आरोपियों को 7- 7 साल की सजा सुनाई है. इस मामले के मुख्य सरगना अंतरराष्ट्रीय तस्कर तमिलनाडु के चेन्नई का निवासी मन्नीवनन है,जिसको 7 साल के कठोर कारावास सहित 5 लाख का जुर्माना लगाया गया है. कछुओं की तस्करी के मामले में थाईलैंड सरकार ने इसके प्रत्यर्पण की मांग भारत सरकार से भी की है.
चार साल पहले हुआ था मामले का खुलासा
साल 2017 में स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स भोपाल ने गिरोह का पर्दाफाश किया था. जो पिछले 7- 8 साल से चंबल नदी में पाए जाने वाले लाल तिलकधारी कछुए और पैंगोलिन के शल्क की तस्करी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर रहा था. 5 मई 2017 को रीजनल टाइगर स्ट्राइक फोर्स सागर और स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स की संयुक्त टीम ने श्योपुर जिले के संबलगढ़ वन परिक्षेत्र के मोंगिया पुरा में नंदलाल के घर छापा मारा था. तब उसके घर से अनुसूची एक के तहत प्रतिबंधित विलुप्त प्राय प्राणी पैंगोलिन के स्केल मिले थे. उसके तत्काल बाद नंदलाल को हिरासत में लिया गया था. तत्कालीन जांचकर्ता अधिकारी सुश्री श्रद्धा पंदरे ने जब आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर लेकर पूछताछ की, तो लंबे समय से वन्य प्राणियों की तस्करी में लिप्त एक बड़े संगठित गिरोह का पर्दाफाश हुआ था. इसके बाद आरटीएसएफ और एसटीएसएफ में अलग-अलग जगह से 14 तस्करों को गिरफ्तार किया था.
13 तस्करों के खिलाफ मामला दर्ज
मामले में वन विभाग की तरफ से अभियोजन अधिकारी सुधा विजय भदौरिया ने बताया कि इस मामले में अलग-अलग 8 परिवाद पेश किए गए थे. 2500 पेज के परिवाद पेश किए गए थे. इसके बाद 16 जनवरी 2020 को 13 बड़े तस्करों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए. इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय तस्करों को जमानत नहीं दी और संबंधित न्यायालय को शीघ्र ही मामले के निराकरण के निर्देश दिए.
जनवरी 2020 से रोजाना हुई मामले की सुनवाई
इस मामले में जनवरी 2020 से लगातार हर रोज सुनवाई की गई है.
- अभियोजन पक्ष ने 27 साथियों को अदालत में पेश किया गया.
- 14 जून तक मामले से संबंधित अंतिम तर्क पेश किए गए.
- 6 जुलाई को मामले का अंतिम तर्क पेश किया गया.
- सीजेएम विवेक कुमार पाठक ने आज 19 जुलाई को 4:50 पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 39,44,48,48 ए, 49, 49 बी, 52, 51 और 51 ए के अंतर्गत दोषी पाया,
- 5:15 पर सभी आरोपियों को 7- 7 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई. आरोपियों पर अपराध के आधार पर उन्हें जुर्माना भी लगाया गया है.
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