सागर। आज जब औरतें पुरूषों की बराबरी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है, वहीं दूसरी तरफ एक दौर था, जब किसी महिला को अपने घर की दहलीज पार कर पढ़ने लिखने से लेकर एक मुकाम हासिल करने तक संघर्ष करना होता था. ऐसी ही एक कहानी पर बन रही फिल्म 'इंदु' की शूटिंग सागर में चल रही है. सीमित संसाधनों में अपने अनुभव और रचनात्मकता के साथ सागर के फिल्म और टेलीविजन जगत से जुड़े कलाकारों का ये प्रयास तारीफ के काबिल है.
अनचाही संतान की शिक्षा और सफलता के संघर्ष की कहानी इंदु रिटायर्ड शिक्षा अधिकारी की कहानी 'इंदु' फिल्म दरअसल एक रिटायर्ड जिला शिक्षा अधिकारी इंदु लता प्रधान की कहानी है,जिनकी उम्र 75 साल हो चुकी है और वह इंदौर में रहती हैं. उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष को एक किताब में संजोया है और उन्हीं की आत्मकथा को आधार बनाते हुए कला जगत से जुड़े सागर के कलाकारों ने शॉर्ट फिल्म बनाने का बीड़ा उठाया है. एक अनचाही संतान के रूप में जन्मी इंदु लता प्रधान कैसे अपनी शिक्षा-दीक्षा से लेकर सरकारी नौकरी हासिल करने और जीवन के हर मोड़ पर किस तरह के संघर्ष करती हैं. यह इस फिल्म में बताया गया है. सागर के कलाकार बना रहे हैं फिल्म ऋचा तिवारी निभा रही लीड रोल
फिल्म इंदु में इंदु लता प्रधान का किरदार ऋचा तिवारी निभा रही हैं. ऋचा तिवारी मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित हैं. वो एक जानी-मानी थिएटर आर्टिस्ट होने के साथ-साथ आकाशवाणी, टेलीविजन और कई क्षेत्रों में सक्रिय हैं. उन्होंने टॉयलेट एक प्रेम कथा में भी किरदार निभाया है. कई टेलीविजन सीरियल, वेब सीरीज में काम कर चुकी ऋचा तिवारी अपने रोल को लेकर कहती हैं कि अपने किरदार को समझने के लिए उन्होंने इंदु लता प्रधान की आत्मकथा को पढ़ा और उनके संघर्ष को समझा. वह उनके अंदर के आत्मविश्वास की सफलता की कहानी है. ऋचा कहती हैं कि किरदार को समझ कर उसके साथ भरपूर न्याय करने की कोशिश की है. रिटायर्ड शिक्षा अधिकारी की कहानी पर फिल्म विनोद जयवंत का है निर्देशन सागर से निकलकर बॉलीवुड और तेलुगु फिल्मों में काम कर चुके विनोद जयवंत फिल्म को डायरेक्ट कर रहे हैं. उन्होंने बॉलीवुड में 'डी कंपनी','काल','शिवा', 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी' और 'तेवर' जैसी फिल्मों में काम किया है. इसके अलावा तेलुगु में 'द रियल टाइगर' और 'जलसा' इसके अलावा हॉलीवुड फिल्म 'एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी ऑफ फकीर' में भी काम कर चुके हैं. विनोद का कहना है कि फिल्म मेकिंग काफी महंगी होने के कारण कई लोग अपनी रचनात्मकता को आकार नहीं दे पा रहे हैं. यही सोचकर हमने कम से कम संसाधन में एक शॉर्ट फिल्म बनाने की कोशिश की हैं. यह इंदुलता प्रधान के संघर्ष की कहानी है,जो सामाजिक संदेश देती है. हम इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को बताना चाहते हैं कि कम बजट पर एक अच्छे मैसेज के साथ ही फिल्में बनाई जा सकती है. शॉर्ट फिल्म इंदु की शूटिंग किसानों को मालामाल करेगा ये टमाटर! इस विधि से खेती करने पर 600 रुपए किलो तक मिलेगा दाम
विदेशी फिल्म मेकर्स भी टीम का हिस्सा
भारत में फिल्म मेकिंग के गुण सीखने आई लातविया की लोना अर्ला भी इस टीम का हिस्सा है. वह इंडियन फिल्म मेकिंग से काफी प्रभावित हैं और खुद भी एक राइटर हैं. वह भारत स्क्रिप्ट राइटिंग सीखने के लिए आई हैं. यहां आकर कम बजट पर फिल्म मेकिंग समझने और सीखने के लिए अपने दोस्तों के साथ वो इस टीम का हिस्सा बनीं. लोना का कहना है कि यह एक अच्छा संदेश देने वाली फिल्म हैं और मुझे यहां काफी अच्छा अनुभव मिल रहा है.
(Indu story of woman struggle) (Short film shooting in Sagar)