सागर। वैसे तो परीक्षाओं में गड़बड़ी के कई मामले सामने आते हैं. ताजा मामला मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12 वीं की बोर्ड परीक्षा में गड़बड़ी का सामने आया है. 2018 में हुई हायर सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा में बड़ी गड़बड़ी के चलते सागर के छात्र को जहां मुख्यमंत्री मेधावी योजना का लाभ नहीं मिला. वहीं उसे अपनी कॉपी के सही मूल्यांकन के लिए 3 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर छात्र के 28 नंबर बढ़ाए गए हैं. छात्र अब मुख्यमंत्री मेधावी योजना का लाभ लेने के साथ-साथ 3 साल लंबी लड़ाई में हुए मानसिक और शारीरिक तनाव को लेकर उपभोक्ता फोरम के दरवाजे खटखटाने की तैयारी कर रहा है. (mp board mistake in marksheet)
क्या है मामला
परकोटा वार्ड में कबीर मंदिर के पास रहने वाले शांतनु शुक्ला सागर के एक्सीलेंस स्कूल में कॉमर्स के विद्यार्थी थे. उन्होंने 2018 में एमपी बोर्ड की हायर सेकेंडरी परीक्षा दी थी. उन्हें भरोसा था कि उनके 75 से 80% के बीच अंक जाएंगे. जब परीक्षा परिणाम आया, तो उनके 75 प्रतिशत भी नहीं बन पाए. एक नंबर कम रह गया. शांतनु को बुक कीपिंग एंड अकाउंटिंग में सबसे कम 50 नंबर मिले थे, जबकि उन्हें भरोसा था कि उन्हें और ज्यादा नंबर मिलेंगे. (mp high court verdict)
रिटोटलिंग से नहीं बनी बात तो निकलवाई कॉपी
शांतनु को भरोसा था कि बुक कीपिंग एंड अकाउंटिंग में उन्हें गलत नंबर दिए गए हैं. उन्होंने रिटोटलिंग के लिए आवेदन किया तो एक भी नंबर नहीं बढ़ा. भरोसे के चलते उन्होंने कापियां निकलवाई. तब बोर्ड की लापरवाही का खुलासा हुआ. कॉपी में साफ तौर पर सही उत्तर किए गए थे, लेकिन उनक नंबर उन्हें नहीं दिए गए. (mp board marksheet)
खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा
कॉपियों में एमपी बोर्ड की लापरवाही का खुलासा होने के बाद और रिटोटलिंग में भी नंबर नहीं बढ़ने के बाद शांतनु शुक्ला ने जबलपुर हाईकोर्ट में वकील रामेश्वर सिंह के माध्यम से याचिका दाखिल की. कोरोना महामारी के कारण लंबे समय तक इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी. इसके बावजूद भी शांतनु ने हिम्मत नहीं हारी. अपने हक के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते रहे.