सागर। वैसे तो आमतौर पर बरसात के 3 महीनों में मौसमी बीमारियों का कहर बढ़ जाता है और बच्चे हो या बूढ़े इन बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं. इस बार भी मौसमी बीमारियों का असर देखने को मिल रहा है. लेकिन बच्चों को होने वाली इन बीमारियों के कुछ बदले हुए लक्षणों ने चिकित्सकों की चिंता बढ़ा दी है. बुंदेलखंड में इन मौसमी बीमारियों का कहर देखने मिल रहा है और बच्चों में वायरल फीवर के साथ-साथ डेंगू और मस्तिष्क ज्वर के लक्षण देखने मिल रहे हैं. इन लक्षणों में परिवर्तन को देखते हुए बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज द्वारा बच्चों के सैंपल इकट्ठा करके नेशनल वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट पुणे भेजे गए हैं.
बच्चों में वायरल फीवर के साथ डेंगू और मस्तिष्क ज्वर के लक्षण
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ आशीष जैन बताते हैं कि हर साल जुलाई से सितंबर तक बीमारियां अधिक संख्या में आती हैं. ये 2-3 महीने बहुत सारे मरीज मलेरिया, डेंगू के लक्षण लेकर आते हैं. साथ ही पानी के कारण होने वाली बीमारियां उल्टी, दस्त और सर्दी खांसी के मरीज देखने मिलते हैं. हर बार की तरह इस बार भी अगस्त और सितंबर के बीच मरीज आ रहे हैं. हालांकि कोई नया पैटर्न देखने मिल रहा हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता. यह जरूर है कि गर्मी और ठंड की तुलना में ज्यादा मरीज आ रहे हैं. जिनमें वायरल फीवर ,डेंगू और मस्तिष्क ज्वर के लक्षण देखने मिल रहे हैं. हमारे वार्ड में काफी संख्या में मरीज हैं.
बरसात के सीजन में क्यों बढ़ जाता है बीमारियों का प्रकोप
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की वायरलॉजी लैब के प्रभारी डॉ सुमित रावत बताते हैं कि तापमान जब बदलता है. जैसे गर्मी के बाद बारिश शुरू होती है. जिसके कारण वातावरण में नमी आती है. वातावरण की ठंडक के कारण हवा में वायरस का प्रसार बढ़ जाता है. इसके अलावा इस मौसम में हम घरों में ज्यादा रहते हैं तो भी वायरस का असर ज्यादा पड़ता है. दूसरी बात इस सीजन में चीजें गंदी होने लगती हैं. मक्खियों, कीड़ों के अलावा खाना और पानी प्रदूषित होने (सीवर का पानी पीने के पानी में मिल जाना) से वायरस और बैक्टीरिया का फैलाव देखने मिलता है. जो बीमारियों का मुख्य कारण होते हैं.
उल्टी दस्त के साथ वायरल का प्रकोप