सागर।मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं. दोनों प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस आदिवासी व दलित वोट बैंक पर फोकस कर रहे हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में 52 फीसदी और बुंदेलखंड में 68 फीसदी ओबीसी आबादी इन चुनाव में अहम भूमिका निभाएगी. इसी कड़ी में ओबीसी महासभा ने चुनाव के पहले ओबीसी वर्ग को उसकी ताकत का एहसास कराई है. ओबीसी अपनी मांगों को लेकर सत्याग्रह पदयात्रा की शुरूआत ओरछा के रामराजा सरकार के दर्शन के साथ की है. 25 जून को शुरू हुई ये यात्रा फिलहाल बुंदेलखंड में भ्रमण कर रही है. यात्रा की अगुवाई कर रहे ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य लोकेन्द्र गुर्जर का कहना है कि " एमपी विधानसभा 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 में ओबीसी इस देश के राजनीतिक दलों को अपनी ताकत का एहसास कराएगी."
जातिगत जनगणना प्रमुख मांग, आबादी के हिसाब से मिले हक: निवाड़ी जिले के ओरछा में स्थित रामराजा सरकार के मंदिर से 25 जून को शुरू हुई. ओबीसी महासभा की सत्याग्रह पदयात्रा दमोह जिले में प्रवेश कर चुकी है. इस सत्याग्रह के जरिए ओबीसी महासभा के लोग गांव-गांव में पिछड़ा वर्ग के लोगों को इकट्ठा कर चौपाल और अन्य दूसरे कार्यक्रमों के माध्यम से उनकी ताकत का एहसास करा रहे हैं. ओबीसी महासभा की प्रमुख मांग जातिगत जनगणना है और जातिगत जनगणना में जिस वर्ग का जितना प्रतिशत हो, उस हिसाब से उसे अधिकार दिए जाने की पैरवी ओबीसी महासभा कर रही है. ओबीसी महासभा का कहना है कि "सत्ता का सेमीफाइनल कहे जाने वाले 4 राज्यों के चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले हम ओबीसी वर्ग को जागृत कर उसकी ताकत के बारे में बता रहे हैं. हम 2023 और 2024 के चुनाव के पहले जनजागरण के जरिए लोगों को बता रहे हैं कि जब तक हम एकजुट नहीं होंगे. कोई भी राजनीतिक दल हमारी बात नहीं सुनेगा. पिछले 70 सालों से हमारी मांगों को लेकर ना तो कांग्रेस ने कोई ठोस पहल की है और ना ही भाजपा ने हमारी मांग को पूरा किया है.