सागर।आमतौर पर प्राकृतिक या मानव निर्मित जलस्त्रोत का पानी आम आदमी स्वच्छ और शुद्ध मानकर पीने और दूसरे कामों में उपयोग करता है. लेकिन बिना जांचे-परखे ये सेहत के लिए काफी खतरनाक हो सकता है. जल प्रदूषण के चलते जलस्त्रोतों में कार्बनिक और अकार्बनिक पोषक तत्वों की मात्रा बहुत बढ़ जाती है. इस कारण साइनोबैक्टीरिया (cyanobacteria) का पानी में जमाव होने लगता है, जिसे सामान्य भाषा में नील हरित शैवाल या काई भी कहते हैं. काफी मात्रा में इकट्ठा होने पर एल्गल ब्लूम (algal blooms) कहा जाता है. ये algal blooms सूर्य की रोशनी पानी के अंदर जाने से रोकता है और जलीय जंतुओं और वनस्पति को शुद्ध आक्सीजन और सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाती है. जिस कारण धीरे-धीरे जलीय जंतु और वनस्पति समाप्त होने लगती है.
WHO की गाइडलाइन से काफी ज्यादा :सागर के डॉ.हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय के प्राणीविज्ञान विभाग की छात्रा रोशनी राजपूत ने असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.राजकुमार कोइरी के मार्गदर्शन में साइनोबैक्टीरिया से निर्मित होने वाले विष माइक्रोसिस्टिन-एलआर (एमसी-एलआर) पर शोध शुरू किया. शोध में सामने आया कि लाखा बंजारा झील के पानी के जहरीलेपन का स्तर 670 माइक्रोग्राम प्रति लीटर पहुंच गया, जो WHO की तय गाइडलाइन से काफी ज्यादा है. WHO की गाइडलाइन के अनुसार पानी में माइक्रोसिस्टिन-एलआर (एमसी-एलआर) का स्तर 1 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इस लिहाज से सागर की लाखा बंजारा झील का पानी 670 गुना जहरीला है.
मानव अंगों पर प्रभाव जानने चूहे पर रिसर्च :लाखा बंजारा झील के पानी के जहरीलेपन का स्तर सामने आने के बाद विश्वविद्यालय की बायो केमेस्ट्री लैब में रोशनी राजपूत ने मानव अंगों पर जहरीले पानी का प्रभाव जानने के लिए चूहे पर शोध शुरू किया. जिसमें चूहे के लीवर, हार्ट और मस्तिष्क पर क्या असर होता है, इसे जानने की कोशिश की गयी. इसके अलावा भोपाल एम्स के साथ हड्डियों पर होने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया. जिसमें पाया गया कि माइक्रोसिस्टिन-एलआर (एमसी-एलआर) ब्लड ब्रैन बैरियर, ग्लूमेरूलर फिल्टरेशन बैरियर को पार करके मानव अंगों को नुकसान पहुंचाता है. ये बैरियर इन अंगों में विषाक्त पदार्थ जाने से रोकने का काम करते हैं, लेकिन एमसी-एलआर इन बैरियर को भी पार करके अंगों को नुकसान पहुंचाता है. इस कारण मानव शरीर में लिविर क्रोनिक किडनी डिसीज, कार्डियो वैस्कुलर डिसीज,हाइपर फास्फोराइलेशन और लीवर और फेफडे़ का कैंसर हो सकता है.