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Sagar News: शहादत में भेदभाव का आरोप लगाकर नक्सली हमले में शहीद जवान के परिजन अनिश्चितकालीन मौन सत्याग्रह पर - indefinite silent satyagraha

शिवराज सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए नक्सली हमले में शहीद हुए सागर के जवान प्रदीप लारिया की बूढी मां और भाई अनिश्चितकालीन मौन सत्याग्रह पर बैठ गए हैं. शहीद प्रदीप लारिया के परिवार का आरोप है कि सरकार शहीदों के साथ भेदभाव कर रही है.

Pradeep Laria Martyr Naxalite attack
नक्सली हमले में शहीद जवान के परिजन अनिश्चितकालीन मौन सत्याग्रह पर

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Published : Aug 19, 2023, 1:04 PM IST

नक्सली हमले में शहीद जवान के परिजन अनिश्चितकालीन मौन सत्याग्रह पर

सागर।शहीद के परिजनों का कहना है कि रहली के शहीद बीएसएफ जवान आबिद खान और छतरपुर के सीआरपीएफ के शहीद जवान नरेन्द्र कुमार झा के मामले को मध्यप्रदेश सरकार ने विशेष प्रकरण मानते हुए आर्थिक मदद और अनुकंपा नियुक्ति दी है. लेकिन 21 साल पहले नक्सली हमले में शहीद प्रदीप लारिया को ना तो शहीद का दर्जा दिया जा रहा है और ना ही सम्मान दिया जा रहा है. गौरतलब है कि शहीद के परिवार ने हाल ही में प्रधानमंत्री के सागर दौरे के दौरान मुलाकात के लिए वक्त भी मांगा था, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया. अब शहीद के परिवार ने अपने ही घर पर मौन सत्याग्रह शुरू कर दिया है.

कैसे हुए शहीद प्रदीप लारिया :बता दें कि 11 अगस्त 2002 को सीआरपीएफ की 34बटालियन की टुकड़ी ने रायगढ़ा जिले के गुनुपुर थाना के गोथाल पड़ार में माओवादियों के खिलाफ आपरेशन चलाया था. सीआरपीएफ टुकड़ी ने करीब 25 किलोमीटर का रास्ता तय कर लक्ष्य के नजदीक पहुंची तो माओवादियों ने आईईडी विस्फोट और फायरिंग कर दी. बटालियन का वाहन विस्फोट की चपेट में आ गया और वाहन में सवार जवान गंभीर रूप से घायल हो गए.

नक्सली हमले में शहीद जवान प्रदीप लारिया

ये हुए थे शहीद :सीआरपीएफ के जवानों को घायल देखकर माओवादी हथियार लूटने बढ़ने लगे, मगर सीआरपीएफ जवानों की टुकड़ी ने माओवादियों पर फायरिंग शुरू कर दी. जवाबी हमला देख माओवादी रुक गये. तब तक सीआरपीएफ के वाहन वहां पहुंच गये और माओवादियों पर हमला कर दिया, जिससे घबराकर माओवादी भाग खड़े हुए. इस हमले में सीआरपीएफ के छह जवान सब इंस्पेक्टर पतिराम, सिपाही प्रमोद कुमार त्यागी, सिपाही एमजी अंगाडे, सिपाही धर्मपाल, सिपाही प्रवीण कुमार पांडे और सिपाही प्रदीप कुमार लारिया देश सेवा के कर्तव्य पर वीरगति को प्राप्त हो गए थे.

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क्यों नहीं दिया शहीद का दर्जा :दरअसल, केंद्रीय पुलिस बल के जवानों को राज्य सरकारें अपनी तरफ से शहीद का दर्जा नहीं देती हैं. इस बारे में जब प्रदीप लारिया के भाई प्रमोद लारिया ने सरकार से संपर्क किया. सरकार ने ये कहकर प्रकरण अस्वीकार कर दिया कि मध्यप्रदेश सरकार युद्ध या सैन्य कार्रवाई में शहीद व्यक्ति को ही शहीद का दर्जा और सम्मान देती है. सरकार का कहना है कि हमने 2013 के बाद केंद्रीय पुलिस बल के जवानों की शहादत पर दर्जा देना शुरू किया है. जबकि प्रदीप लारिया 2002 में शहीद हुई थे.

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