सागर।डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में भारतीय विश्वविद्यालय संघ के तत्त्वावधान में प्रथम राष्ट्रीय महिला छात्र संसद के उद्घाटन सत्र में ज्ञान की देवी सरस्वती एवं डॉ. गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई. उद्धघाटन सत्र में स्वागत भाषण डॉ. राकेश सोनी, समन्वयक सांस्कृतिक परिषद् ने दिया. उन्होंने कहा कि यह सभी विद्यार्थियों के ही प्रयास से सफल हो रहा है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में पहली बार इस तरह का आयोजन हो रहा है. सौभाग्य है कि दोनों ही संस्थाओं की मुखिया महिलाएं ही हैं. यह संसद आगामी समय में देश के लिए सफल नेता प्रदान कर सकती है.
महिलाएं स्वयं को देखने का नजरिया बदलें:भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ. पंकज मित्तल ने कहा कि सभी छात्राएं आज यहां इतिहास बना रही हैं. 97 साल के एआईयू में पहली बार राष्ट्रीय महिला छात्र संसद आयोजित की जा रही है. इस आयोजन के उद्देश्य को बताते हुए उन्होंने महिलाओं को उचित अवसर न मिलने के उदाहरण साझा किए और इसके साथ ही महिलाओं द्वारा अपने लिये स्वयं अवसर बनाने के भी किस्से बताए और कहा कि छात्राओं और महिलाओं को यह अवसर प्राप्त होना चाहिए, जिससे वह नेतृत्व में आगे आएं. उन्होंने कहा कि पुरुषों से ज्यादा महिलाएं आगे हैं, फिर भी संसदीय नेतृत्व के लिए महिलाओं की संख्या आगे नहीं बढ़ रही है. महिला छात्र संसद द्वारा यह संख्या भविष्य में बढ़ेगी. उन्होंने महिलाओं को स्वयं के प्रति व्यवहार और पूर्वाग्रह को बदलने के लिए जरूरत जाहिर की, जिससे समाज में महिलाओं के लिए अवसरों की कमी न हो. उन्होंने कहा कि महिलाओं में क्षमता बहुत होती है बस उन्हें उचित अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है. उन्होंने सभी महिलाओं को आग्रह किया की वे स्वयं को, उनके द्वारा किए हुए काम को कमतर न आंके.
महिला सशक्तिकरण की दिशा में सकारात्मक पहलःकुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने पहली राष्ट्रीय महिला छात्र संसद के लिए विश्वविद्यालय को चुनने के लिए उन्होंने एआईयू का आभार माना. उन्होंने कहा कि एआईयू हमेशा से ही युवा गतिविधियों को बढ़ावा देता है. महिला छात्र संसद का पहली बार आयोजन समाज में महिलाओं को बढ़ावा देने एक ऐसी ही सशक्त पहल है. यह उन्हें आगे बढ़ने के लिए एक मंच प्रदान कर रहा है. महिला सशक्तिकरण और उनकी लोकतंत्र में भूमिका को मजबूत करने के लिए महिला छात्र संसद का होना बहुत ही महत्वपूर्ण प्रयास है. इससे युवा छात्राओं में संसद कार्य प्रणाली की समझ बढ़ेगी और वे इसे अनुभव के आधार पर सीखेंगी. आने वाले समय में इस आयोजन के कारण महिला सांसदों को संख्या भारतीय संसद में भी बढ़ेगी. उनके अंदर समाज और विश्व को बदलने की दृढ़ इच्छाशक्ति आयेगी और महिला सशक्तिकरण के साथ समाज सशक्त होने का यह संदेश हर क्षेत्र में प्रसारित होगा. उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के साथ, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, पंजाब, आसाम से युवा महिला प्रतिभागी इस संसद में भाग लेने आई हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयासों से समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा.