सागर। बुंदेलखंड के किसान अनाज उत्पादन के अलावा बडे़ पैमाने पर सब्जियों की खेती करते हैं. पहले बुंदेलखंड के किसान पारम्परिक तरीके से सब्जियों की खेती करते थे. अब आधुनिक तकनीक से सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इसी कड़ी में बुंदेलखंड के किसान ग्राफ्टिंग की ब्रिमेटो तकनीक से एक ही पौधे से बैंगन और टमाटर फसल का उत्पादन ले रहे हैं. हालांकि ग्राफ्टिंग पुरानी तकनीक है. इसका प्रयोग फलों के पौधे पर ज्यादा किया जाता है. इसके पहले आलू और टमाटर एक ही पौधे पर उगाए जा चुके हैं.
सब्जियों की ग्राफ्टिंग को लेकर अनुसंधान:पहली बार टमाटर और बैंगन की ग्राफ्टिंग का सफल प्रयोग ICAR (indian agricultural research institute) और भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने किया था. प्रायोगिक परीक्षणों में कई फायदे सामने आए हैं. एक तो एक साथ एक ही पौधे से बैंगन और टमाटर की फसल ले सकते हैं. दूसरी तरफ सब्जी वाले पौधों में लगने वाले रोगों से बचा सकते हैं. हालांकि सब्जियों की ग्राफ्टिंग को लेकर अभी अनुसंधान चल रहा है. इसलिए व्यावसायिक तौर पर उपयोग की सिफारिश जानकार नहीं करते हैं.
बुंदेलखंड में सब्जी की खेती में नवाचार:एक ही पौधे में एक साथ बैंगन और टमाटर की फसल ग्राफ्टिंग से तैयार की जाती है और अभी इस तरह की खेती पर अनुसंधान चल रहा है. लेकिन बुंदेलखंड के जागरूक किसान सोशल मीडिया और इंटरनेट के जरिए खेती किसानी के नवाचारू की जानकारी जताकर प्रयोग करते रहते हैं. सागर जिले के चनौआ बुजुर्ग गांव के किसान कमलेश कुशवाहा सब्जी की खेती में नए-नए प्रयोग के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी जुटाकर बैंगन और टमाटर के पौधे की ग्राफ्टिंग का सफल प्रयोग किया है. उनके खेत पर एक ही पौधे में टमाटर और बैंगन एक साथ उग रहे हैं. फिलहाल कमलेश कुशवाहा ने 40 पौधों पर प्रयोग किया है.
पौधे को नुकसान नहीं पहुंचता:पहली बार का प्रयोग सफल होने पर कमलेश अगली बार एक एकड़ में बैगन और टमाटर की ग्राफ्टिंग करके फसल लगाएंगे. कमलेश मानते हैं कि इस तकनीक से टमाटर की फसल जड़ में होने वाले रोग और बारिश के असर से प्रभावित नहीं होगी. क्योंकि ग्राफ्टिंग की तकनीक में बैगन के पौधे की जड़ का उपयोग किया जाता है, जो टमाटर के मुकाबले काफी मजबूत होती है. बैंगन की जड़ खेत में पानी भरने पर जल्दी नहीं सड़ती है और पौधे को नुकसान नहीं पहुंचता है. वहीं, बारिश न होने की स्थिति में भी बैगन की जड़ एकदम नहीं सूखती है.
ब्रिमेटो (Brimato) है तकनीक का नाम:एक ही पौधे पर बैंगन और टमाटर एक साथ उगाने की ग्राफ्टिंग की तकनीक को ब्रिमेटो नाम दिया गया है. इसका पहला सफल प्रयोग ICAR (indian agricultural research institute) और भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा किया गया है. कृषि वैज्ञानिकों ने ग्राफ्टिंग की इस तकनीक को ब्रिमेटो (Brimato) नाम इसलिए दिया है. क्योंकि ब्रिमेटो शब्द बैंगन (Brinjal) और टोमेटो (Tamato) शब्दों से मिलकर बना है. इन दोनों पौधों की ग्राफ्टिंग इसलिए भी आसानी से हो जाती है, क्योंकि यह दोनों एक ही कुल के पौधे हैं. ऐसे में उनके कई गुण एक दूसरे से मेल खाते हैं.