सागर।सागर केंद्रीय जेल में रोजाना सैकड़ों कैदी पढ़ाई-लिखाई कर सजा के बाद अपना जीवन सुधारने की पहल कर रहे हैं. यहां के कई कैदी एमबीए, एमएसडब्ल्यू और दूसरे व्यावसायिक पाठ्यक्रम पढ़कर डिग्री हासिल कर रहे हैं. जेल में एक बंदी शिक्षा समिति का गठन किया गया है. इस समिति के गठन के जरिए ऐसे कैदियों की जानकारी जुटाई गयी, जो निरक्षर हैं. कैदियों को जेल में स्थित स्कूल में साक्षर किया जा रहा है. जेल में निरक्षर कैदियों को साक्षर करने का काम भी जेल के शिक्षकों की निगरानी में कैदी कर रहे हैं, जो पढ़े लिखे हैं. निरक्षर कैदियों को नाम लिखना, बारहखड़ी, पहाड़ा और एबीसीडी पढ़ाई जाती है. फिलहाल 90 निरक्षर कैदी साक्षरता कार्यक्रम का लाभ ले रहे हैं.
साक्षर कैदियों को स्कूली शिक्षा :इसके अलावा जेल में कई कैदी ऐसे हैं, जो साक्षर होने के बाद स्कूली शिक्षा हासिल करने का काम कर रहे हैं. ऐसे कैदियों की संख्या करीब 60 है. साक्षर बनाए गए कैदियों का मूल्यांकन कर स्कूली शिक्षा के लिए उनकी रुचि के अनुसार चयन किया जाता है. स्कूली शिक्षा के लिए शिक्षक और जिज्ञासु बंदियों का नामांकन किया जाता है और सुबह 8 से 10 बजे तक और दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक नियमित शिक्षाएं संचालित की जाती हैं. प्राथमिक कक्षाओं में पहली से पांचवीं तक की पढ़ाई कराई जाती है. प्राथमिक शिक्षा के बाद बंदियों का मूल्यांकन कर राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा की विभिन्न परीक्षाओं के जरिए कैदियों को 12 वीं तक की शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है. बाकायदा साल में तीन बार फरवरी, अप्रैल और सितंबर में इनकी परीक्षा आयोजित की जाती है.
उच्च शिक्षा हासिल कर रहे कैदी :केंद्रीय जेल सागर में मप्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय और इग्नू के दो केंद्र प्रारंभ किए गए हैं. इग्नू द्वारा संचालित बीए, बीकॉम और बीएजी कोर्स में कल 64 बंदी डिग्री हासिल कर रहे हैं. इसके अलावा भोज मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा संचालित स्नातक, स्नातकोत्तर और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में 17 कैदी उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं. जिनमें बीए, बीकॉम, बीबीए, एमबीए, एमए और एमएसडब्ल्यू जैसे कोर्स कर रहे हैं. सागर केंद्रीय जेल के तीन बंदी लॉ की डिग्री के लिए परीक्षाएं दे रहे हैं तो तीन कैदी सोशल वर्क में मास्टर डिप्लोमा की तैयारी कर रहे हैं. डिप्लोमा पाठ्यक्रम में करीब 40 कैदी इस बार शामिल हुए हैं.