सागर। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम-2012 (POCSO) एक ऐतिहासिक कानून है. ये कानून 18 साल से कम उम्र वालों के साथ होने वाले यौन अपराध के लिए बनाया गया है. इस एक्ट के तहत सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए विशेष प्रावधान किए हैं. सागर के पूरे जिले में अभी 469 मामलों पर सुनवाई जारी है. 2020 में पास्को एक्ट से संबंधित 79 फीसदी मामलों में सजा सुनाई गई है
18 साल साल से कम उम्र के नाबालिगों के साथ होने वाले दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर 2012 में विशेष रुप से पास्को एक्ट बनाया गया था. इस एक्ट के तहत सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए विशेष प्रावधान किए हैं.
- पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज होने के दो माह के अंदर पुलिस को चालान पेश करना होता है
- विशेष कोर्ट के संज्ञान में मामला आते ही एक माह के भीतर सुनवाई शुरू करनी होती है.
- पॉक्सो एक्ट के लिए गठित विशेष अदालतों को एक साल के अंदर सुनवाई पूरी कर निर्णय देना होता है.
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत पॉक्सो एक्ट के लिए विशेष अदालतें गठित की गई हैं.
- पॉक्सो एक्ट की सुनवाई सत्र न्यायाधीश के नीचे के न्यायाधीश नहीं कर सकते हैं.
- मामले में पीड़िता की तरफ से पैरवी करने वाला विशेष अभियोजक होता है. इस विशेष अभियोजक के पास कम से कम सात साल का अनुभव होना चाहिए.
- ज्यादातर महिला जज ही मामले की सुनवाई करती हैं. विशेष परिस्थिति या एडीजी स्तर के महिला जज न होने की स्थिति में पुरुष जनसुनवाई करता है.