सागर। 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महत्वाकांक्षी योजना को हरी झंडी दिखाई. इसके तहत लक्ष्य रखा गया कि 2022 तक हर गरीब अपने मकान में रहेगा, सबके सिर पर छत रहेगी. लेकिन इस योजना की सागर शहर में स्थिति ऐसी नहीं है कि लगे कि तय समय तक लोगों को अपना घर नसीब भी हो पाएगा. किश्तों के चक्कर में जीवन की कश्ती हिचकोले खा रही है.
पीएम आवास योजना का टूटा ख्वाब 3357 में से 1888 का तो खत्म नहीं हो रहा इंतजार
सागर नगर निगम में ऐसे 3357 हितग्राहियों को चयनित किया गया था जिनमें से 1469 हितग्राहियों को करीब डेढ़ साल पहले योजना की पहली किस्त की राशि जारी की गई थी. 1888 हितग्राही तो डेढ़ साल से पहली किश्त का इंतजार कर रहे हैं.इस राशि से लोगों ने अपना मकान बनाना शुरू कर दिया, लेकिन दूसरी किस्त का इंतजार इतना लंबा हो गया कि बारिश के मौसम में लोग बिना छत की मकान में रहने के लिए मजबूर हैं या फिर अपना घर मिटाकर किराए के मकान में रह रहे हैं.
नगर निगम को आवंटित हुई 12 करोड़ 75 लाख की राशि
इस मामले में नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं नगर निगम सागर के लिए योजना के हितग्राहियों को राशि आवंटित करने के लिए 12 करोड़ 75 लाख की राशि मिली है. लेकिन नगर निगम ने अभी तक हितग्राहियों के लिए दूसरी किस्त जारी नहीं की है. स्थानीय विधायक शैलेंद्र जैन ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए नगर निगम से उन लोगों को दूसरी किस्त देने का निर्देश दिया है जिनके लिए जिन 1469 हितग्राहियों को पहली किस्त मिल चुकी है.
विपक्ष ने उठाए नीति और नियत पर सवाल
मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि यह काफी चिंताजनक विषय है कि जो सरकार- सबका साथ सबका विकास का ढिंढोरा पीटती है,उसके राज में प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना का लाभ लोगों को नहीं दिया जा रहा है और उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है. देश और प्रदेश में भाजपा की सरकार है,लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के रहते हुए जिन लोगों को पहली किस्त जारी हुई, उन्हें आज तक दूसरी किस्त नहीं मिल सकी है. इन हालातों से सरकार की नीति और नियत साफ होती है. राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण उन लोगों को दूसरी किस्त नहीं दी जा रही है, जिन लोगों को कांग्रेस सरकार के समय पहली किस्त जारी हुई थी. उन्होंने कहा कि इसका खामियाजा हितग्राहियों को भोगना पड़ेगा क्योंकि पिछले डेढ़ साल में महंगाई बढ़ने के चलते सीमेंट, रेत और भवन निर्माण सामग्री काफी महंगी हो गई है.
योजना को कलंकित करने वाले अधिकारियों पर लिया जाए एक्शन
विधायक शैलेंद्र जैन का कहना है कि इस मामले में मैंने स्वयं संभागीय आयुक्त से मुलाकात कर जांच कराने की मांग की है। हम चाहते हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और जो अधिकारी कर्मचारी इससे स्थिति के लिए दोषी हैं, उन पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए. जिन लोगों ने प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना को कलंकित करने का काम किया है, उनकी इच्छा थी कि जिसके पास छत नहीं हैं,उन्हें 2022 तक छत मिल जाए. लेकिन जिस तरह से लोगों को परेशान किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होना चाहिए.