सागर। सागर शहर से लगी हुई नरयावली विधानसभा एक ऐसी विधानसभा है, जहां पिछले तीन विधानसभा चुनाव से भाजपा का कब्जा है और भाजपा के प्रदीप लारिया लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. प्रदीप लारिया ने पहली बार 2008 में सागर नगर निगम के महापौर रहते हुए नरयावली से चुनाव जीता था. फिर लगातार चौथी बार जीत के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. प्रदीप लारिया के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने नरयावली विधानसभा के उस मिथक को तोड़ने का काम किया है, जो नरयावली के बारे में कहा जाता था कि यहां कोई दोबारा विधायक नहीं बनता है. पहली बार प्रदीप लारिया 2008 में विधायक बने, फिर 2013 और 2018 भी विधायक चुने गए. अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित रही ये सीट कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. पहली बार 1990 में सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की थी.
सुरेंद्र चौधरी के सामने प्रदीप लारिया:नरयावली विधानसभा सीट से 9 प्रत्याशी मैदान में हैं. प्रमुख मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है. कांग्रेस ने जहां एडवोकेट सुरेंद्र चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं, भाजपा ने इंजी. प्रदीप लारिया को मैदान में उतारा है.
क्या है इस क्षेत्र की खासियत: नरयावली विधानसभा सीट एक तरह से सागर शहर का उपनगरीय इलाका है. हालांकि जिस छोटे से कस्बे के नाम पर विधानसभा सीट का नाम रखा गया है, वह सागर से 20 किलोमीटर दूर बीना रोड पर स्थित है, लेकिन विधानसभा का बड़ा इलाका सागर शहर के उपनगरीय इलाके मकरोनिया और सागर सैन्य छावनी में आता है. नरयावली विधानसभा 1976 में हुए चुनाव परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया था. यह विधानसभा सीट शुरूआत से अनूसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. 2008 में नरयावली विधानसभा सीट में सागर सैन्य छावनी के हिस्से को भी जोड़ा गया है, जो 2008 में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के पहले सागर विधानसभा सीट का हिस्सा थी. यह इलाका सागर शहर से लगे होने के कारण एक तरह से सागर शहर का हिस्सा है. वैसे तो ये कृषि प्रधान इलाका है और गेंहू, चना और सोयाबीन की खेती होती है. प्रमुख तौर पर अपनी सब्जी की खेती के लिए जाना जाता है. इसके अलावा नरयावली के अंतर्गत आनी वाली मकरोनिया नगर पालिका तेजी से शहर के रूप मे विकसित हो रही है. नरयावली विधानसभा सीट में सागर का औद्योगिक क्षेत्र सिंदगुंवा भी आता है. जहां पर कई बड़ी-बड़ी फैक्ट्री भी संचालित होती है, जिसके कारण इस इलाके में बडे़ पैमाने पर मजदूर वर्ग निवास करते हैं.
नरयावली विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास: 1976 में चुनावी परिसीमन के बाद सागर विधानसभा सीट से टूटकर नरयावली एक नयी विधानसभा सीट के रूप में अस्तित्व में आयी. ये विधानसभा क्षेत्र शुरूआत से कांग्रेस का गढ़ रही और 1977 के चुनाव से लेकर 1990 के चुनाव तक यहां कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत हासिल की. 1990 में पहली बार भाजपा के नेता नारायण प्रसाद कबीरपंथी कांग्रेस से ये सीट हथियाने में कामयाब रहे, लेकिन 1993 में फिर कांग्रेस के प्यारेलाल चौधरी ने नरयावली सीट को जीतकर कांग्रेस के पाले में ला दिया. 1993 के बाद 1998 में भी कांग्रेस के सुरेन्द्र चौधरी ने नरयावली सीट पर जीत हासिल करी और दिग्विजय सिंह सरकार में भी मंत्री बने. 2003 में कांग्रेस विरोधी लहर के दौरान ये सीट कांग्रेस के हाथ से फिर छिटक गयी और भाजपा के नारायण कबीरपंथी विधायक बने. 2008 में सागर नगर निगम के तत्कालीन महापौर प्रदीप लारिया पर भाजपा ने भरोसा जताया और उन्होंने जीत हासिल की. इसके बाद 2013 और 2018 में भी प्रदीप लारिया नरयावली विधानसभा सीट से विधायक चुने गए.
क्या मिजाज है नरयावली विधानसभा का:सागर जिले की नरयावली सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. 1990 से 2018 तक इस सीट पर कुल 7 चुनाव हुए. इन 7 चुनाव में 5 बार बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की जबकि सिर्फ 2 बार कांग्रेस जीतने में सफल रही है. इस गणित के हिसाब से कहा जा सकता है कि नरयावली सीट बीजेपी की गढ़ रही है.
2008 विधानसभा चुनाव: 2008 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सागर नगर निगम के महापौर प्रदीप लारिया को नरयावली से प्रत्याशी घोषित किया. वहीं कांग्रेस ने माधवी चौधरी को उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा. भाजपा के प्रदीप लारिया को 38 हजार 708 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस की माधवी चौधरी को महज 23904 वोट मिले. इस तरह से कांग्रेस प्रत्याशी माधवी चौधरी की 14804 वोटों से हार हो गयी.