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MP Seats Scan Naryawali: इस सीट पर बीजेपी ने तोड़ा मिथक, चौथी बार प्रदीप लारिया दिलाएंगे जीत या होगी हार - नरयावली विधानसभा सीट

चुनावी साल में ईटीवी भारत पर आपको हर दिन एक विधानसभा सीट का विश्लेषण हम आपको बताते हैं. आज आप पढ़िए बुंदेलखंड की नरयावली सीट का राजनीतिक इतिहास और वहां से जुड़े कुछ तथ्य. यह वह सीट है जो कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन साल 2008 से लेकर अभी तक वहां बीजेपी का दबदबा है. बीजेपी विधायक प्रदीप लारिया लगातार तीन बार से यहां चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस रिपोर्ट में पढ़िए नरयावली सीट का समीकरण

Seats Scan Naryawali
नरयावली सीट स्कैन

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Published : May 15, 2023, 6:16 AM IST

Updated : Nov 16, 2023, 2:02 PM IST

सागर। सागर शहर से लगी हुई नरयावली विधानसभा एक ऐसी विधानसभा है, जहां पिछले तीन विधानसभा चुनाव से भाजपा का कब्जा है और भाजपा के प्रदीप लारिया लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. प्रदीप लारिया ने पहली बार 2008 में सागर नगर निगम के महापौर रहते हुए नरयावली से चुनाव जीता था. फिर लगातार चौथी बार जीत के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. प्रदीप लारिया के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने नरयावली विधानसभा के उस मिथक को तोड़ने का काम किया है, जो नरयावली के बारे में कहा जाता था कि यहां कोई दोबारा विधायक नहीं बनता है. पहली बार प्रदीप लारिया 2008 में विधायक बने, फिर 2013 और 2018 भी विधायक चुने गए. अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित रही ये सीट कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. पहली बार 1990 में सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की थी.

नरयावली में मतदाताओं की संख्या

सुरेंद्र चौधरी के सामने प्रदीप लारिया:नरयावली विधानसभा सीट से 9 प्रत्याशी मैदान में हैं. प्रमुख मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है. कांग्रेस ने जहां एडवोकेट सुरेंद्र चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं, भाजपा ने इंजी. प्रदीप लारिया को मैदान में उतारा है.

क्या है इस क्षेत्र की खासियत: नरयावली विधानसभा सीट एक तरह से सागर शहर का उपनगरीय इलाका है. हालांकि जिस छोटे से कस्बे के नाम पर विधानसभा सीट का नाम रखा गया है, वह सागर से 20 किलोमीटर दूर बीना रोड पर स्थित है, लेकिन विधानसभा का बड़ा इलाका सागर शहर के उपनगरीय इलाके मकरोनिया और सागर सैन्य छावनी में आता है. नरयावली विधानसभा 1976 में हुए चुनाव परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया था. यह विधानसभा सीट शुरूआत से अनूसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. 2008 में नरयावली विधानसभा सीट में सागर सैन्य छावनी के हिस्से को भी जोड़ा गया है, जो 2008 में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के पहले सागर विधानसभा सीट का हिस्सा थी. यह इलाका सागर शहर से लगे होने के कारण एक तरह से सागर शहर का हिस्सा है. वैसे तो ये कृषि प्रधान इलाका है और गेंहू, चना और सोयाबीन की खेती होती है. प्रमुख तौर पर अपनी सब्जी की खेती के लिए जाना जाता है. इसके अलावा नरयावली के अंतर्गत आनी वाली मकरोनिया नगर पालिका तेजी से शहर के रूप मे विकसित हो रही है. नरयावली विधानसभा सीट में सागर का औद्योगिक क्षेत्र सिंदगुंवा भी आता है. जहां पर कई बड़ी-बड़ी फैक्ट्री भी संचालित होती है, जिसके कारण इस इलाके में बडे़ पैमाने पर मजदूर वर्ग निवास करते हैं.

नरयावली विधानसभा सीट की खासियत

नरयावली विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास: 1976 में चुनावी परिसीमन के बाद सागर विधानसभा सीट से टूटकर नरयावली एक नयी विधानसभा सीट के रूप में अस्तित्व में आयी. ये विधानसभा क्षेत्र शुरूआत से कांग्रेस का गढ़ रही और 1977 के चुनाव से लेकर 1990 के चुनाव तक यहां कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत हासिल की. 1990 में पहली बार भाजपा के नेता नारायण प्रसाद कबीरपंथी कांग्रेस से ये सीट हथियाने में कामयाब रहे, लेकिन 1993 में फिर कांग्रेस के प्यारेलाल चौधरी ने नरयावली सीट को जीतकर कांग्रेस के पाले में ला दिया. 1993 के बाद 1998 में भी कांग्रेस के सुरेन्द्र चौधरी ने नरयावली सीट पर जीत हासिल करी और दिग्विजय सिंह सरकार में भी मंत्री बने. 2003 में कांग्रेस विरोधी लहर के दौरान ये सीट कांग्रेस के हाथ से फिर छिटक गयी और भाजपा के नारायण कबीरपंथी विधायक बने. 2008 में सागर नगर निगम के तत्कालीन महापौर प्रदीप लारिया पर भाजपा ने भरोसा जताया और उन्होंने जीत हासिल की. इसके बाद 2013 और 2018 में भी प्रदीप लारिया नरयावली विधानसभा सीट से विधायक चुने गए.

नरयावली सीट समीकरण

क्या मिजाज है नरयावली विधानसभा का:सागर जिले की नरयावली सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. 1990 से 2018 तक इस सीट पर कुल 7 चुनाव हुए. इन 7 चुनाव में 5 बार बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की जबकि सिर्फ 2 बार कांग्रेस जीतने में सफल रही है. इस गणित के हिसाब से कहा जा सकता है कि नरयावली सीट बीजेपी की गढ़ रही है.

2008 विधानसभा चुनाव: 2008 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सागर नगर निगम के महापौर प्रदीप लारिया को नरयावली से प्रत्याशी घोषित किया. वहीं कांग्रेस ने माधवी चौधरी को उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा. भाजपा के प्रदीप लारिया को 38 हजार 708 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस की माधवी चौधरी को महज 23904 वोट मिले. इस तरह से कांग्रेस प्रत्याशी माधवी चौधरी की 14804 वोटों से हार हो गयी.

2013 विधानसभा चुनाव: नरयावली सीट पर भाजपा ने फिर प्रदीप लारिया पर भरोसा जताया और प्रदीप लारिया भी पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे. प्रदीप लारिया को 2013 विधानसभा चुनाव में 69 हजार 195 वोट हासिल हुए. वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी को 53 हजार 149 वोट हासिल हुए. इस तरह प्रदीप लारिया 16046 मतों के अंतर से चुनाव जीत गए.

साल 2018 का रिजल्ट

2018 विधानसभा चुनाव: नरयावली विधानसभा चुनाव 2018 में जब बीजेपी के लिए कांग्रेस की तगड़ी चुनौती थी. तब भाजपा ने तीसरी बार प्रदीप लारिया पर भरोसा जताया और प्रदीप लारिया लगातार तीसरी बार पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे. प्रदीप लारिया को 74 हजार 360 मत हासिल हुए. वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेन्द्र चौधरी को 65 हजार 460 मत हासिल हुए. इस तरह प्रदीप लारिया तीसरी बार 8 हजार 900 वोटों से चुनाव जीतने में सफल रहे.

क्या है नरयावली विधानसभा के प्रमुख मुद्दे: वैसे तो नरयावली विधानसभा सीट में सागर शहर का उपनगरीय इलाका मकरोनिया आता है. जो व्यावसायिक दृष्टि से सागर का एक बड़ा बाजार है और ब्रांडेड कंपनियों के शोरूम इस इलाके में है, लेकिन अनुसूचित जाति बाहुल्य इस इलाके में बेरोजगारी काफी बड़ी समस्या है. विधानसभा क्षेत्र में सिंदगुंवा औद्योगिक क्षेत्र होने के बाद भी रोजगार का भारी संकट है. इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र नरयावली, कर्रापुर, सानोधा, परसोरिया जैसे बड़े गांव शामिल है. जहां लोगों का मुख्य व्यावसाय खेती है. किसान जहां सिंचाई, खाद और बीज से परेशान है. वहीं मंहगाई बड़ा मुद्दा बनकर सामने आ रही है.

मिथक तोड़ने में कामयाब रहे प्रदीप लारिया: जहां तक नरयावली विधानसभा सीट के मिजाज की बात करें, तो 2008 तक इस सीट पर कोई भी विधायक दोबारा नहीं चुना गया, लेकिन सागर महापौर रहते हुए नरयावली सीट से विधायक बने प्रदीप लारिया इस मिथक को तोड़ने में कामयाब रहे और 2008 के बाद लगातार तीन चुनाव जीते हैं. लगातार तीन चुनाव जीतकर हैट्रिक बना चुके विधायक प्रदीप लारिया चौथी बार चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं. फिलहाल नरयावली सीट के समीकरण बताते हैं कि 1993 और 1998 का चुनाव छोड़ दिया जाए, तो 1990 से लेकर 2018 तक बीजेपी का ही यहां दबदबा रहा है. पिछले 20 सालों से कांग्रेस के लिए ये सीट जीतना दूर की कौड़ी रही है. हालांकि कांग्रेस इस बार पूरा जोर लगा रही है, वहीं बीजेपी विधायक प्रदीप लारिया चौथी बार चुनाव के जीतने काफी मशक्कत से जुटे हैं.

भाजपा के प्रमुख दावेदार:प्रदीप लारिया भले ही तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं और जीत का सिलसिला जारी है, लेकिन प्रदीप लारिया को अपनी ही पार्टी से तगड़ी चुनौती मिल रही है. प्रदीप लारिया को भाजपा के अंदर पूर्व विधायक नारायण कबीरपंथी, सागर नगर निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार, संतोष रोहित, इंदु जया चौधरी जैसे कई नेता दावेदारी कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस में पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी, पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष रेखा चौधरी, माधवी चौधरी और कई नेता टिकट के लिए प्रयासरत है.

नरयावली में पिछले तीन चुनावों का रिजल्ट

क्या कहना है विधायक का:लगाातार तीन बार से नरयवाली विधानसभा से विधायक प्रदीप लारिया अपनी चौथी जीत के लिए आश्वस्त हैं. उनका कहना है कि तीन चुनावों मे कांग्रेस को लगातार बड़े अंतर से हराकर मैंने नरयावली सीट को भाजपा का गढ़ बनाया है और शिवराज सरकार के विकास कार्य और नरयावली के विकास के लिए जनता एक बार फिर मेरे पर भरोसा जिताएगी. प्रदीप लारिया कहते हैं कि मेरी विधानसभा सीट में लगने वाले सागर शहर के इलाके में काॅलेज, सिविल अस्पताल और आरओबी जैसी सौगात मिली है और ग्रामीण इलाकों में सडक संपर्क के अलावा पेयजल संकट और खेती किसानी के लिए सिंचाई के लिए व्यवस्था की जा रही है. नरयावली विधानसभा में तेजी से विकास हो रहा है और मुझे भरोसा है कि लोग एक बार फिर मुझे मौका देंगे.

Last Updated : Nov 16, 2023, 2:02 PM IST

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