सागर। बीना को बुंदेलखंड का प्रवेश द्वार कहा जाता है. बीना के एक तरफ मालवा और दूसरी तरफ बुंदेलखंड है. बीना के इतिहास में जाएं तो एरण गुप्तकाल का महत्त्वपूर्ण नगर बीना के पास स्थित है. यहां गुप्तकाल के कई अभिलेख मिले हैं. बीना सागर जिला की एक तहसील और विधानसभा क्षेत्र है. यह पश्चिम मध्य रेलवे का बड़ा जंक्शन है. यह समुद्र तल से 683.4 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. बीना से दो प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच -3 और एनएच 26 गुजरते हैं. ये इलाका मध्यप्रदेश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित मालवा के पठार पर स्थित है. यहां प्रमुख रूप से गेहूं, धान, ज्वार, मक्का, चना, तुअर, सोयाबीन और तिल का उत्पादन होता है. अन्य फसलों के अलावा सब्जियां फल की भी पैदावार होती है. बीना के पास आगासौद में तेल रिफाइनरी की स्थापना के अलावा एनटीपीसी का बिजली उत्पादन केंद्र है. रिफायनरी के लिए कच्चा तेल गुजरात से प्राप्त होता है. यहां रिफाइनरी आधारित अन्य उद्योग भी स्थापित किए जा रहे हैं.
पिछले तीन चुनावों के परिणाम:
विधानसभा चुनाव 2008: साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में बीना में कांग्रेस और भाजपा के बीच तगड़ा मुकाबला देखने को मिला. बीजेपी प्रत्याशी विनोद पंथी ने 30 हजार 106 मत हासिल किए, जो कुल मतदान का 35% है. वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ ओमप्रकाश कठोरिया के लिए 23 हजार 697 मत मिले, जो कुल मतदान का 28 फीसदी था. इस तरह 6 हजार 409 मतों से भाजपा की विनोद पंथी चुनाव जीत गयी.
विधानसभा चुनाव 2013: साल 2013 में मोदी लहर के बीच हुए चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी महेश राय के लिए 61 हजार 356 मत मिले, जो कुल मतदान का 52% था. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला सप्रे के लिए 42 हजार 587 मत हासिल हुए, जो कुल मतदान का 36% था. इस तरह महेश राय 18 हजार 769 मतों से चुनाव जीत गए.
2018 में बीना सीट का रिजल्ट विधानसभा चुनाव 2018: साल 2018 विधानसभा चुनाव में बीना में भाजपा को कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा. बीना से दोबारा प्रत्याशी बनाए गए महेश राय के लिए 57 हजार 828 मत हासिल हुए, जो कुल मतदान का 46% था. वहीं कांग्रेस के शशि कुमार कथूरिया को 57 हजार 196 मत हासिल हुए, जो कुल मतदान का 45% था. इस तरह भाजपा के महेश राय महज 532 वोटों से चुनाव जीत पाए.
बीना विधानसभा का जातीय समीकरण क्या कहते हैं समीकरण: सागर जिले की बीना विधानसभा सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. 2008 में हुए परिसीमन में ये अनूसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित की गयी थी. जहां तक बीना के चुनावी समीकरण की बात करें, तो भाजपा 2008 के बाद भले ही लगातार जीत हासिल करती आ रही हो, लेकिन 2018 में कांग्रेस से मिली तगड़ी चुनौती के बाद भाजपा के लिए ये सीट आसान नजर नहीं आती है. 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी महेश राय एक हजार से कम वोटों से चुनाव जीते थे. उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी से महज 532 ज्यादा वोट हासिल हुई थी. 2023 में भाजपा के खिलाफ सत्ताविरोधी लहर नजर आ रही है और दो बार से विधायक महेश राय के पक्ष में भी माहौल नजर नहीं आ रहा है. इन हालातों में या तो भाजपा टिकट बदल सकती है और अगर भाजपा टिकट नहीं बदलती है, तो तगड़ी चुनौती का सामना करना पडे़गा, क्योंकि कांग्रेस ने हारी हुई सीटों पर अभी से तैयारी शुरू कर दी है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अलावा मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ बीना का दौरा कर चुके हैं और सभा को संबोधित करने के अलावा बूथ लेवल की तैयारियों का जायजा ले चुके हैं.
जिला और रोजगा प्रमुख मुद्दा: बीना सागर जिले की एक तहसील है, लेकिन रेलवे जंक्शन, बीना रिफाइनरी और एनटीपीसी पावर ग्रिड के कारण बीना को जिला बनाए जाने की मांग लगातार उठती रहती है, लेकिन बीना से महज 22 किमी की दूरी पर स्थित खुरई विधानसभा में भी लंबे समय से जिला बनाए जाने की मांग उठ रही है. खुरई से दो बार से विधायक नगरीय प्रशासन आवास मंत्री के सामने बीना के विधायक बौने पड़ जाते हैं और बीना को जिला बनाने की मांग उठा भी नहीं पाते हैं. चुनाव आते ही मांग ने फिर जोर पकड़ लिया है, लेकिन बीना की जिला बनने की संभावना फिलहाल नजर नहीं आती है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह करीब तीन बार बीना को जिला बनाने की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन आज तक पूरी नहीं हुई है. हाल ही में कमलनाथ ने अपने दौरे में कहा था कि बीना को निराश नहीं करूंगा. इसके अलावा रोजगार बीना के लिए प्रमुख मुद्दा है, क्योंकि बीना रिफाइनरी और एनटीपीसी पावरग्रिड जैसे संस्थानों में स्थानीय लोगों को ना के बराबर रोजगार मिलता है. लंबे समय से स्थानीय लोगों को रोजगार की मांग उठ रही है, लेकिन अभी तक कोई सार्थक काम नहीं हुआ. आगामी 14 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बीना रिफाइनरी के विस्तार की घोषणा करने आने वाले हैं. हो सकता है कि स्थानीय रोजगार के मुद्दे पर भी कुछ पहल हो, हालांकि कमलनाथ पहले घोषणा कर चुके हैं कि कांग्रेस सरकार आने पर इन संस्थानों में स्थानीय लोगों के रोजगार का इंतजाम किया जाएगा.
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कौन-कौन है दावेदार: विधानसभा चुनाव के लिए प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा की दावेदारी शुरू हो गयी है. भाजपा से मौजूदा विधायक महेश राय तीसरी बार टिकट के लिए प्रयासरत हैं, तो पूर्व महिला विधायक विनोद पंथी, पूर्व विधायक धरमू राय के बेटे गजेन्द्र राय, कमलेश राय और कांग्रेस से बीजेपी में गए शशि कथोरिया टिकट के दावेदार हैं. वहीं कांग्रेस से निर्मला सप्रे, डाॅ ओमप्रकाश कथौरिया, ममता अहिरवार, रमेश सोनकर के अलावा अशोक परिहार भी दाेवदारी कर रहे हैं.
क्या कहना है कि विधायक महेश राय का: बीना से बीजेपी विधायक महेश राय का कहना है कि शिवराज सरकार और मोदी सरकार के गरीब कल्याण के लिए किए कामों का फायदा मिलेगा और मैं तीसरी बार चुनाव जीतूंगा. भाजपा से ही मिल रही तगड़ी चुनौती को लेकर महेश राय कहते हैं कि मैं पिछले 10 साल से क्षेत्र की जनता की सेवा कर रहा हूं. विकास के कई अहम काम बीना में मेरे कार्यकाल में हुए है. बीना को जिला बनवाने के लिए प्रतिबद्ध हूं और स्थानीय लोगों के रोजगार की समस्या के लिए भी काम कर रहा हूं. मुझे भरोसा है कि इस बार पार्टी मेरे ऊपर भरोसा जताएगी और मैं पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरूंगा.