सागर।बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर व कथावाचक पंडित धीरेन्द्र शास्त्री अपनी कथा के दौरान धर्मांतरण करने वालों की घरवापसी कराते हैं. पिछले दिनों सागर में हुई बागेश्वर सरकार की कथा के दौरान ईसाई धर्म अपना चुके 95 लोगों ने घरवापसी की. घरवापसी करने वाले जब पंडित धीरेन्द्र शास्त्री से मिले तो उन्हें समझ आया कि धर्मांतरण करने वाले ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जो प्रलोभन और छुआछूत के कारण सनातन धर्म छोड़ देते हैं. ऐसे में पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने अपने शिष्यमंडल को आदेश दिया कि धर्मांतरण कराने वालों के तरीकों का तोड़ उन्हीं के अंदाज में निकालें. घरवापसी करने वालों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सामाजिक समरसता और आत्मनिर्भर बनाने का तरीका आजमाएं. बागेश्वर सरकार के आदेश पर सागर के गायत्री परिवार और स्वामी विवेकानंदर विश्वविद्यालय के जरिए इन कामों को बढ़ावा दिया गया. इसी कड़ी में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर घरवापसी करने वाले लोगों के गांव पहुंचकर ना सिर्फ समरसता के लिए यज्ञ का आयोजन किया गया, बल्कि इन परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारतीय शक्ति मध्यप्रदेश परिवार ने स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण देकर व्यवसाय में मदद करने का बीड़ा उठाएगा.
95 लोगों ने अपनाया था ईसाई धर्म :सागर-भोपाल मार्ग पर शहर की सीमा से लगे बदोना गांव के करीब 50 परिवारों के 95 लोगों ने प्रलोभन और ईसाई मिशनरी की छुआछूत से जुड़ी बातों से प्रभावित होकर धर्मांतरण कर लिया था. धर्मांतरण करने वाले लोगों का कहना है कि गांव के पास ईसाई धर्म का एक व्यक्ति रहता था, जो अक्सर गाड़ियां लेकर आता था और ईसाई धर्म से संबंधित वीडियो चलाता था. सनातन धर्म से तुलना करके बताता था कि उसके धर्म में किसी से भेदभाव नहीं किया जाता. इसके अलावा ईसाई धर्म के लोग मच्छरदानी, कंबल बांटते थे और कुछ लोगों को उन्होंने परिवार के पालन पोषण के लिए बकरियां भी दिलाई थीं. धीरे-धीरे करके गांव के करीब 95 लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया. लेकिन बागेश्वर सरकार के घरवापसी के प्रयासों और उनकी कथा से प्रभावित होकर उन्होंने सनातन धर्म में वापसी कर ली.
कहीं फिर ना चले जाएं वापस :बागेश्वर सरकार की पहल पर धर्मांतरण करने वाले लोगों ने घरवापसी तो कर ली, लेकिन जब बातचीत में पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने धर्मांतरण की वजह पूछी तो सामने आया कि सनातन धर्म में भेदभाव और प्रलोभन बड़ा कारण है. फिर उन्होंने अपने शिष्यमंडल के लोगों से कहा कि अगर ऐसे हालात रहे तो धर्मांतरण रोकना मुश्किल होगा. तब उनके शिष्यमंडल के सदस्य गायत्री परिवार के मुख्य ट्रस्टी और स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के प्रमुख अनिल तिवारी ने इन समस्याओं का हल निकाला. तय किया गया कि छुआछूत की भावना मन से निकालने और घरवापसी करने वाले लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास करने होंगे.