सागर।बीमा कंपनियां किस तरह से बीमाधारकों को गुमराह करती और बीमाधन नहीं देना चाहती है, इसकी बानगी देश की एक प्रतिष्ठित इंश्योरेंस कंपनी को लेकर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के फैसले में सामने आयी है. दरअसल बीमा कंपनी के लोन की राशि चुकाने से इंकार के बाद उपभोक्ता फोरम का ये आदेश आया है. फोरम ने बीमा कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा है कि बीमारी छिपाने का तर्क देकर बीमा कंपनी बीमा धन से देने से मना नहीं कर सकती है.
दरअसल एसबीआई समूह की बीमा कंपनी एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने लोन का बीमा कराने वाले व्यक्ति के निधन के बाद लोन की राशि चुकाने से इंकार कर दिया था. लोनधारक ने करीब 9 लाख 50 हजार रुपए का लोन लिया था और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस में लोन का बीमा कराया था. बीमा कंपनी का कहना था कि बीमाधारक ने लोन लेते समय अपनी गंभीर बीमारी छिपा इसलिए हम लोनधारक की देनदारी चुकाने बाध्य नहीं है. लेकिन जिला उपभोक्ता फोरम के सामने इंश्योरेंस कंपनी साबित नहीं कर पाई कि लोन लेने वाले व्यक्ति ने अपनी बीमारी छिपाई थी.
होमलोन का बीमा कराने के 6 महीने बाद हो गई लोनधारक की मौत:मामले में आवेदिका दीपमाला श्रीवास्तव के वकील पवन नन्होरिया ने बताया कि "सागर के तिली वार्ड इलाके के तिरूपतिपुरम में रहने वाले आशीष श्रीवास्तव ने जनवरी 2019 में तिली इलाके में एक कालोनी में प्लाट खरीदने के लिए एसबीआई की तिली शाखा से 9 लाख 50 हजार रूपए का लोन लिया था. होमलोन की अदायगी के लिए तत्काल एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में 11 हजार रूपए का प्रीमियम जमा कराकर स्वयं का 10 साल का बीमा कराया. बीमा कराने के करीब 6 महीने बाद आशीष श्रीवास्तव को पेट में दर्द हुआ और अपना चेकअप कराने मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल गए. जहां पेट में कैंसर होने की जानकारी मिली और रिपोर्ट आने के पहले ही आशीष ने दम तोड़ दिया.