सागर।विधानसभा चुनाव 2023 में कई चेहरों को लेकर कयासों का दौर चल रहा है कि ये चेहरे चुनाव में नजर आएंगे कि नहीं, लेकिन मध्यप्रदेश विधानसभा के सबसे ज्यादा चुनाव जीतने वाले वरिष्ठ विधायक और पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के इरादे अंगद की तरह नजर आ रहे हैं. गोपाल भार्गव लगातार 9वीं वार ताल ठोकने के लिए तैयार हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में फिर किस्मत आजमा सकते हैं, हालांकि उनके उत्तराधिकारी बेटे अभिषेक भार्गव अपनी चुनावी पारी शुरू करने के लिए बेताब हैं. इन सब के बीच सियासत के खेलों को समझने में माहिर गोपाल भार्गव अपने पत्ते खोलने के लिए तैयार नहीं हैं, गोपाल भार्गव की बातचीत से साफ समझ आ रहा है कि वह "वेट एंड वॉच" की रणनीति अपनाकर चुनाव का इंतजार कर रहे हैं. जहां वे एक तरफ अपना दावा कमजोर नहीं होने दे रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने अपने बेटे के भविष्य की जिम्मेदारी पार्टी पर छोड़ दी है. इन हालातों को लेकर सियासी पंडित मानते हैं कि "गोपाल भार्गव 2003 से भाजपा की तमाम सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे और 2018 में सरकार गई, तो नेता प्रतिपक्ष बने. अब अगर उनकी कोई महत्वाकांक्षा बाकी रह गई है, तो वह मुख्यमंत्री बनने की है और शायद इसलिए वह "वेट एंड वॉच" की रणनीति अपना रहे हैं."
क्यों है मंत्री गोपाल भार्गव चर्चा में:विधानसभा चुनाव 2023 में मंत्री गोपाल भार्गव किस भूमिका में होंगे, इस बात की चर्चा इसलिए जोर पकड़ रही है क्योंकि वह लगातार 8 चुनाव लड़ चुके हैं और जीत हासिल करते आ रहे हैं. हालांकि भाजपा में उम्र दराज लोगों को धीरे-धीरे चुनावी राजनीति से दूर किया जा रहा है और गोपाल भार्गव चुनाव के समय 72 साल के हो चुके होंगे, दूसरी तरफ उनके बेटे अपनी चुनावी पारी शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में चर्चा जोर पकड़ रही है कि 2023 का विधानसभा चुनाव में गोपाल भार्गव अपने बेटे को रहली विधानसभा क्षेत्र में उत्तराधिकारी के तौर पर चुनाव लड़ा सकते हैं. सियासी जानकारों का मानना है कि गोपाल भार्गव को अपने बेटे को चुनाव में उतारने का सबसे सही वक्त है, कैलाश विजयवर्गीय ने अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय का राजनैतिक भविष्य तय करने के लिए खुद संगठन की राजनीति में जाना बेहतर समझा और बेटे को चुनावी राजनीति में उतार दिया."
अभी अपने पत्ते खोलना नहीं चाह रहे गोपाल भार्गव:जमीन से राजनीति शुरू कर लगातार 8 चुनाव जीतने का लंबा सफर तय करने वाले गोपाल भार्गव राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं, सियासत की हवा और मुद्दों की उनको गहरी समझ है. खुद के चुनावी सन्यास और बेटे की सियासी पारी को लेकर अपनी रणनीति का खुलासा करने तैयार नजर नहीं आ रहे हैं, ना तो आज तक उन्होंने अपनी चुनावी यात्रा पर विराम लगाने की बात कही है और ना ही उन्होंने इस बात का इशारा किया है कि आगामी चुनाव में उनके विधानसभा क्षेत्र रहली से उनके बेटे गोपाल भार्गव चुनाव लड़ सकते हैं. गोपाल भार्गव अभी भी चुनावी मैदान में ताल ठोकने की तैयारी में नजर आ रहे हैं, तो दूसरी तरफ उनको अपने बेटे के भविष्य की भी उतनी ही चिंता है. हालांकि जिस तरह से गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव की राजनीतिक सक्रियता बढ़ती जा रही है, उसको लेकर लोगों का मानना है कि जल्द ही अभिषेक भार्गव चुनावी राजनीति में उतरेंगे.