सागर। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार अनुसूचित जाति वर्ग को रिझाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. लेकिन दूसरी तरफ सियासत के दांवपेच में इसी वर्ग के लोगों को न्याय दिलाने के लिए बनाई गई संवैधानिक संस्थाओं में ना तो नियुक्ति कर रही है और ना ही पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार द्वारा नियुक्त किए गए लोगों को काम करने दे रही है. मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन के दफ्तर पर ताला लगा हुआ है और न्याय के लिए आनंद अहिरवार हाईकोर्ट की शरण में गए हुए हैं. ऐसी स्थिति में ना तो आयोग काम कर रहा है और ना ही सरकार नए अध्यक्ष की नियुक्ति कर रही है. मौजूदा अध्यक्ष आनंद अहिरवार का कहना है कि सरकार के दलित हितैषी होने के दावे आयोग के अध्यक्ष के साथ हुए बर्ताव से साफ होते हैं. मैं तो कहता हूं कि अगर मुझे काम नहीं करने देना चाहते हैं, तो कम से कम नए अध्यक्ष की नियुक्ति कर दें. जिससे दलित वर्ग के लोगों को न्याय मिल सके.
सरकार के आदेश पर आयोग के कार्यालय में ताला
ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों ने जब मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के साथ बगावत करते हुए बेंगलुरु में डेरा डाल लिया था. तब कमलनाथ सरकार ने संवैधानिक आयोगों के पदों पर नियुक्ति की थी. जिसमें सागर के पूर्व सांसद आनंद अहिरवार को मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था और वह लगातार काम कर रहे थे. लेकिन तब तक मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में बीजेपी की सरकार अस्तित्व में आ चुकी थी. इसी बीच जुलाई माह में गुना में प्रशासन की अतिक्रमण कार्रवाई में दलितों के साथ मारपीट का मामला सामने आया और आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार ने गुना का दौरा करते हुए प्रशासन की कार्यवाही पर सवाल खड़े किए थे. इसी बात से शिवराज सरकार नाराज हो गई और जब आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार 23 जुलाई को भोपाल स्थित आयोग के कार्यालय में पहुंचे, तो उन्हें उनके कक्ष में ताला लगा मिला. वहां मौजूद स्टाफ द्वारा बताया गया कि सरकार के आदेश पर ये ताला लगाया गया है.
आयोग के अध्यक्ष ने ली न्यायालय की शरण
इस कार्रवाई को असंवैधानिक बताते हुए आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार ने जहां भोपाल के एमपी नगर थाना में एफआईआर दर्ज कराई. वहीं उन्होंने सरकार की कार्यवाही के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस मामले में अभी हाईकोर्ट ने आनंद अहिरवार को स्टे देते हुए यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं. वहीं 23 फरवरी को हुई सुनवाई के बाद नई तारीख 9 मार्च अगली सुनवाई के लिए मुकर्रर की गई है.
जान जोखिम में डालकर मदद करने वालों मिलेगा कई लाभ, शिवराज सरकार ने की ये तैयारी
आनंद अहिरवार का शिवराज सरकार पर आयोग की अनदेखी का आरोप
एक तरफ सरकार ने जहां आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार के कक्ष में ताला डाल दिया है. वहीं सरकार ने अभी तक आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति नहीं की हैं. ऐसी स्थिति को लेकर आनंद अहिरवार का कहना है कि प्रदेश की वर्तमान बीजेपी की सरकार अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा नहीं करना चाहती है. बल्कि उनके ऊपर हो रहे अत्याचारों की अनदेखी कर रही है. आयोग का जो हाल सरकार ने किया है, वह सबके सामने है. मैं अध्यक्ष हूं, मुझसे काम नहीं कराया जा रहा है. तो दूसरा अध्यक्ष बनाकर कम से कम दलितों के हितों की रक्षा करें. कोर्ट में मेरा मामला लंबित है, आयोग की बड़ी बुरी स्थिति है और अनुसूचित जाति वर्ग की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है.
आयोग में सुनवाई न होने से हजारों प्रकरण लंबित
आनंद अहिरवार का कहना है कि वर्तमान की स्थिति में हजारों प्रकरण आयोग में लंबित हैं. जब मुझे अध्यक्ष बनाया गया था, तो 700 से 1000 के बीच ऐसे प्रकरण आयोग में लंबित थे, जिन पर लंबे समय से सुनवाई नहीं हुई थी. इस स्थिति को देखते हुए हमने प्रकरणों की सुनवाई तय की थी, लेकिन प्रकरणों की सुनवाई की तारीख नहीं आ पाई और उसके पहले मेरे दफ्तर में ताला लगा दिया गया. फिलहाल मेरे प्रकरण में हाईकोर्ट में 9 मार्च को अगली सुनवाई होगी और न्यायालय में उस दिन न्याय होगा.
सरकार की नीतियों पर सवाल
आनंद अहिरवार ने कहा कि आयोग की मौजूदा स्थिति से स्पष्ट है कि सरकार की जो नीतियां हैं, वह दलितों के साथ न्याय करने की नहीं है. आयोग जैसे संवैधानिक पद पर काम ना करने देने से उनका नजरिया साफ है, कि एससी वर्ग के लोगों पर जो अत्याचार हो रहे हैं, वह लगातार बढ़ें. पूरे प्रदेश में दलितों पर अत्याचार के मामले सामने आते हैं, दलित अत्याचार में एमपी देश भर में नंबर वन पर है. एक तरफ सरकार दम भरती है और एससी वर्ग के लोगों की हितों की रक्षा का दावा करती है. लेकिन जब समय आता है, तो शून्य रहती है. बीजेपी के राज में एससी के नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के साथ भेदभाव किया जा रहा है, उन्हें अच्छे पदों पर नहीं बिठाया जा रहा है.
मेरे से दिक्कत है तो नए अध्यक्ष की कर दें नियुक्ति: आनंद अहिरवार
आनंद अहिरवार ने बताया कि आयोग के अध्यक्ष रहते हुए मेरे साथ जो व्यवहार किया गया है, मुझे टॉर्चर किया गया और दफ्तर में ताला लगा दिया गया. जब मेरे साथ यह व्यवहार हुआ है, तो एससी वर्ग के लोग आयोग से न्याय की उम्मीद कैसे लगा सकते हैं. मैं तो कहता हूं कि किसी और को अध्यक्ष बना कर कम से कम अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के न्याय के लिए काम करें. सिर्फ नाम का आयोग रह गया है, जो नीचे तबके के लोग हैं, जिन पर अत्याचार होते हैं और पुलिस रिपोर्ट नहीं लिखती है. तब आयोग का दरवाजा खटखटाते हैं, लेकिन आयोग के हाल आपके सामने है.