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MP Tiger Deaths: छिन न जाए प्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा, लापरवाही ने खड़े किये कई सवाल - पन्ना में बाघ की मौत से खड़े हुए सवाल

मध्यप्रदेश में बाघों की मौत से प्रदेश के माथे पर कलंक लग रहा है. बावजूद इसके संबंधित अधिकारी बेपरवाह हैं. एक तरफ जहां एमपी को टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है, वहीं उसके सिर सबसे ज्यादा मौत का सेहरा भी बंध रहा है. एक साल के बाघों की मौत के आंकड़ों से साफ है कि मध्यप्रदेश में बाघ सबसे ज्यादा असुरक्षित है. यही नहीं पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा बाघों की मौत मध्यप्रदेश में ही हुई है. सुरक्षा में लापरवाही के चलते मध्यप्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा छिनने का खतरा भी मंडराने लगा है. (Tiger death mp panna) (MP death of tigers)

Tiger death mp panna
मध्यप्रदेश से कहीं छिन जाए टाइगर स्टेट का दर्जा

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Published : Dec 9, 2022, 7:31 AM IST

Updated : Dec 9, 2022, 7:48 AM IST

सागर। मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा भले ही हासिल हो, लेकिन बाघों की मौत को लेकर भी मध्य प्रदेश जमकर बदनाम हो रहा है. ताजा मामला पन्ना टाइगर रिजर्व में सामने आया है. जहां एक बाघ फांसी के फंदे पर लटका मिला है. माना जा रहा है कि फंदा डालकर बाघ को मारा गया है. इस घटना को लेकर बाघों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं. वन्यप्रेमियों का कहना है कि मध्यप्रदेश बाघों के संरक्षण को लेकर बेपरवाह है. बाघों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री अध्यक्षता में बनी स्टीयरिंग कमेटी की 3 साल से बैठक नहीं हुई है. वहीं शिकार पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस और वन विभाग की संयुक्त सेल की भी बैठक नहीं हुई है. सरकार की लापरवाही से बाघों के शिकार का सिलसिला रुक नहीं रहा है. (Tiger death mp panna) (MP death of tigers)

पन्ना में बाघ की मौत से खड़े हुए सवाल

पन्ना में बाघ की मौत से खड़े हुए सवालःपन्ना में बाघ की मौत के बाद मध्यपदेश में बाघों की लगातार मौत को लेकर फिर सवाल खड़े होने लगे हैं. दरअसल 7 दिसंबर सुबह-सुबह पन्ना टाइगर रिजर्व से एक दुखद खबर आई कि पन्ना टाइगर रिजर्व के पास विक्रमपुर गांव में एक बाघ का शव मिला है. खास बात ये है कि बाघ फांसी के फंदे पर एक पेड़ से लटका हुआ मिला था. बाघ का शव मिलने के बाद वन विभाग ने तमाम औपचारिकताएं पूरी कर उसका अंतिम संस्कार करा दिया है. लेकिन बाघ की ऐसी मौत से हड़कंप मच गया है. बाघ की मौत के इस मामले को भी शिकार से जोड़ा जा रहा है. माना जा रहा है कि शिकारियों ने बाघ को फंदे में फंसाकर मारा है. (Questions raised by death of tiger in Panna)

साल भर में देश में सबसे ज्यादा बाघों की मौत मध्य प्रदेश मेंः नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में अब तक 32 बाघ मध्यप्रदेश में दम तोड़ चुके हैं. भले ही मध्य प्रदेश अपने टाइगर स्टेट दर्जा के लिए पूरे देश में मशहूर है. इसके बाद अब बाघों की मौत के चलते भी मशहूर हो रहा है. NTCA की रिपोर्ट में सामने आया है कि पिछले 1 साल में देश भर में 99 बाघों की मौत हुई है. जिसमें सबसे ज्यादा 32 बाघ मध्यप्रदेश में मारे गए हैं. NTCA के रिकॉर्ड के अनुसार नवंबर महीने तक मध्य प्रदेश में 31 बाघों की मौत दर्ज की गई थी. 7 दिसंबर 2022 को पन्ना में बाघ की मौत के बाद संख्या 32 पहुंच गई है. मध्यप्रदेश में 2022 में पहली मौत एक बाघिन की 8 जनवरी 2022 को सामने आई थी. (MP highest number of tiger deaths in country a year)

MP: पन्ना में टाइगर ने लगाई फांसी! पेड़ से लटका मिला शव, देश का पहला मामला

10 साल में सबसे ज्यादा बाघों की मौत का तमगा भी मध्यप्रदेश कोःएक साल के बाघों की मौत के आंकड़ों से साफ है कि मध्यप्रदेश में बाघ सबसे ज्यादा असुरक्षित है. खास बात ये है कि पिछले 10 साल के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो 10 सालों में सबसे ज्यादा बाघों की मौत मध्यप्रदेश में ही हुई है. NTCA के आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में पिछले 10 सालों में जुलाई 2022 तक 270 बाघों की मौत हो चुकी है. इनमें सबसे ज्यादा 66 बाघों की मौत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दर्ज की गई हैं.10 साल पहले पन्ना की भी शिकार के चलते यही हालत हुई थी और पन्ना में एक भी बाघ नहीं बचा था. पिछले 10 साल के प्रयासों से पन्ना में बाघों का कुनबा बढ़ा है. शिकार की घटनाएं एक बार फिर बाघों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रही हैं. (MP also title of killing maximum tigers in 10 years)

क्या कहते हैं जानकारः वन और वन्य प्राणियों के लिए काम करने वाली संस्था प्रयत्न के संयोजक अजय दुबे कहते हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत चिंता का विषय है. लगातार मौत से स्पष्ट है कि इन मौत की जवाबदेही तय करने में सरकार विफल रही है. पिछले साल बाघ की चमड़ी उतार ली गई थी,जो पन्ना टाइगर रिजर्व से सतना जिले में ले जाया गया था. पन्ना में 7 दिसंबर को जिस बाघ की मौत हुई है, उसकी सुरक्षा के लिए सेटेलाइट कॉलर पहनाया गया था, लेकिन फिर भी उसकी जान नहीं बच सकी. लाखों रुपए के सेटेलाइट कॉलर, ड्रोन और नाइट विजन कैमरा होने के बाद भी बाघों का शिकार हो रहा है, जो काफी दुखद है. मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित स्टीयरिंग कमिटी की 3 साल से बैठक नहीं हुई है. बाघों का शिकार रोकने के लिए पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टाइगर सेल बनाई गई थी, उसकी भी बैठक नहीं हो रही है. बाघों की संख्या के मामले में मध्य प्रदेश नंबर वन है. दुखद है कि किसी की भी जिम्मेदारी तय नहीं है,जिससे अपराधियों को बढ़ावा मिल रहा है और संरक्षण दिया जा रहा है. (Many questions arising carelessly tiger death) (MP death of tigers)

क्या कहते हैं जिम्मेदारःपीसीसीएफ वन्यजीव जेएस चौहान का कहना है कि पन्ना की घटना काफी चिंताजनक है. घटना की जांच के लिए एक स्पेशल टीम भी गठित की गई है. पन्ना में बाघों की मौत की वारदातों का ज्यादा होने की बात है, तो बाघों की सुरक्षा भी पुख्ता की जाएगी. हम लोग लगातार शिकार की घटनाएं रोकने के लिए काम कर रहे हैं. मध्यपदेश में बाघों की सबसे ज्यादा मौत का सवाल है, तो उसकी वजह है कि मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या भी सबसे ज्यादा है. (Tiger death mp panna) (MP death of tigers)

Last Updated : Dec 9, 2022, 7:48 AM IST

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