सागर। मध्यप्रदेश विधानसभा के सबसे वरिष्ठ विधायक और मंत्री गोपाल भार्गव की बात करें, तो 2003 से लगातार कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस सरकार के दौरान नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद उनके मन में अब सिर्फ मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रह गयी है. गोपाल भार्गव 1985 से चुनाव जीतते आ रहे हैं और लगातार 8 चुनाव जीत चुके हैं. माना जा रहा था कि इस बार वो अपने बेटे अभिषेक भार्गव को चुनाव मैदान में उतारेंगे, लेकिन उन्होंने एक बार फिर इसे अपना आखिरी चुनाव बताते हुए मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की है. बडी बात ये है कि उनका कहना है कि ''मेरे गुरु की इच्छा है कि मैं एक बार और चुनाव लडूं, तो हो सकता है कि ईश्वरीय संदेश हो, क्योंकि पार्टी ने इस चुनाव में किसी को अब तक मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट नहीं किया है.'' Gopal Bhargava wants to become CM
बुंदेलखंड के अजेय योद्धा कहे जाते हैं गोपाल भार्गव:मंत्री गोपाल भार्गव की बात करें तो उन्होंने पहला चुनाव रहली विधानसभा से 1985 में लड़ा था, तब से लेकर आज तक वो एक भी चुनाव नहीं हारे हैं. कांग्रेस ने उनके सामने जो भी प्रत्याशी उतारा, उसे मुंह की खानी पड़ी है. आलम ये है कि उन्हें बुंदेलखंड के अजेय योद्धा के तौर पर संबोधित किया जाने लगा है. गोपाल भार्गव 2003 में उमा भारती सरकार में कैबिनेट मंत्री बने और फिर 2018 तक जो भी मुख्यमंत्री रहा, उसके मंत्रीमंडल में शामिल रहे. 2018 में भाजपा की सरकार गयी, तो पार्टी को सबसे वरिष्ठ ब्राह्मण नेता की याद आई और उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया. लेकिन जैसे ही कमलनाथ सरकार गिरी, तो मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार होने के बाद भी उनका पत्ता कट गया और शिवराज सिंह फिर मुख्यमंत्री बन गए.