सागर। ग्वालियर उच्च न्यायालय के आरक्षण के फैसले और कोरोना महामारी के कारण प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव स्थगित कर दिए गए थे, जबकि इसी बीच शिवराज सरकार ने महापौर/अध्यक्षों के पद का चुनाव सीधे जनता से कराने की बजाय पार्षदों से कराने का निर्णय लिया हैं. शासन ने सीधे चुनाव कराने वाले विधेयक को वापस ले लिया हैं. यह जानकारी नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने रविवार को दी.
तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने जनता के बजाय पार्षदों के माध्यम से चुनाव कराने का फैसला किया था. सरकार बदलने के बाद भाजपा सीधे चुनाव कराने के पक्ष में थी, लेकिन अब बीजेपी भी पार्षदों में से ही महापौर और नगर पालिका/पंचायतों के अध्यक्षों का चुनाव कराएगी. वार्ड पार्षद का चुनाव उनके उम्मीदवारों के लिए जीतना अनिवार्य होगा.