सागर।मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दलित वोट बैंक साधने बुंदेलखंड को प्रयोगशाला के तौर पर देश के दोनों बडे़ दल भाजपा-कांग्रेस उपयोग कर रहे हैं. दलितों के संत और महापुरूषों के सहारे मतदाता को साधने की कोशिश की जा रही है. शुरूआत से ही दोनों दलों में होड़ लगी है. पहले मल्लिकार्जुन खड़गे 13 अगस्त को सागर आने वाले थे, लेकिन आनन-फानन में शिवराज सरकार ने एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दौरा करवाया और सागर में 100 करोड़ की लागत से रविदास मंदिर का शिलान्यास कराया. कार्यक्रम स्थगित होने से कांग्रेस ने मोदी और भाजपा को जवाब देने के लिए 22 अगस्त को कजलीवन में सभा को संबोधित किया और दलितों को साधने की सधी कोशिश की. खड़गे के मंच पर सिर्फ संत रविदास और बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर थी. यहां राहुल, सोनिया या प्रियंका गाधी नजर नहीं आई. संत रविदास मंदिर और स्मारक के सामने मल्लिकार्जुन खडगे ने सागर में संत रविदास विश्वविद्यालय खोले जाने का एलान किया. इसके पहले उन्होंने बीजेपी के दलित प्रेम पर सवाल खडे़ किए और चुनाव के समय संत रविदास की याद आने की बात कही. मंदिर बनाम विश्वविद्यालय दलित वोट बैंक का मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है.
मंच से दिया सबसे बड़ा संदेश:आमतौर पर कांग्रेस के मंच पर सबसे बड़ी तस्वीरें गांधी परिवार की नजर आती है. जिनमें राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी की तस्वीरें होती है, लेकिन सागर के कजलीवन में मल्लिकार्जुन खड़गे की सभा के मंच पर सिर्फ दो तस्वीरें नजर आ रही थी. जिनमें संत रविदास के अलावा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर थे. खड़गे और कांग्रेस नेताओं ने परंपरा अनुसार इन दोनों महापुरूषों को पुष्पांजली अर्पित की. ये सीधे तौर पर कोशिश थी कि हमारे लिए संत रविदास और बाबा साहेब अंबेडकर सब कुछ हैं.
दलितों को रिझाने बुंदेलखंड ही क्यों: जहां तक दलितों को रिझाने के लिए दोनों दलों द्वारा बुंदेलखंड को प्रयोगशाला बनाने की बात करें तो बुंदेलखंड की 26 सीटों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पांच सीटें हैं. जिनमें सागर के बीना, नरयावली, दमोह की हटा, पन्ना की गुन्नौर, छतरपुर की चंदला और टीकमगढ़ की जतारा है. इसके अलावा कई सीटों पर दलित वोट बैंक निर्णायक स्थिति में है. इसके साथ बुंदेलखंड से लगा ग्वालियर चंबल का इलाका है, जहां दलित वोट बैंक की संख्या काफी है और यूपी का दलित वोट बाहुल्य वाला इलाका मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड से लगा हुआ है. खासकर संत रविदास के जरिए रविदास पंथ को साधने जिनके अनुयासी सबसे ज्यादा दलित समुदाय के जाटव और अहिरवार मतदाता हैं, जो सबसे ज्यादा इसी इलाके में हैं. पिछले चुनाव में बुंदेलखंड की 26 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ 9 सीटें जीती थी और भाजपा को 15 हासिल हुई थी. भाजपा जहां अपना गढ़ बचाने में जुटी है, वहीं कांग्रेस खड़गे के जरिए सेंध लगाने की कोशिश कर रही है.
खड़गे का सवाल, चुनाव के समय क्यों याद आए संत रविदास:मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनाव के मद्देनजर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संत रविदास की याद आने की बात कही. "खडगे ने संत रविदास मंदिर और स्मारक की चर्चा करते हुए कहा कि एक हजार करोड़ का मंदिर बनाओ हमें खुशी है, लेकिन प्रधानमंत्री को पिछले 9 साल में और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को 18 साल में अब संत रविदास की याद क्यों आ रही है. मध्यप्रदेश की भाजपा की 18 साल की सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि एमपी में पिछले 18 सालों से दलित और कमजोर वर्ग के साथ जो अन्याय और अत्याचार हुआ, क्या उसका प्रायश्चित इन बातों से हो पाएगा, क्या सारे पाप धुल जाएंगे. सीधी में आदिवासी युवक को भाजपा पदाधिकारी के पेशाब पिलाए जाने की घटना के बाद सीएम शिवराज के पांव धोने पर सवाल खडे़ करते हुए कहा कि क्या पैर धोने से उसका स्वाभिमान वापस आ जाएगा."