सागर। 8 नवंबर को होने वाले चंद्र ग्रहण को लेकर ज्योतिषविदों से लेकर आमजन तक की निगाहें कई सवालों के जवाबों पर टिकी हुई है. सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण दोनों परिस्थितियों में कई तरह की धार्मिक मान्यताएं है, जिनका विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए. खासतौर पर ग्रहण के समय क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए इसको लेकर भी लोगों में तरह-तरह की शंकाएं रहती हैं. धार्मिक ग्रंथों में ग्रहण के समय क्या करें और क्या ना करें, इसकी जानकारी दी गई है.
साल का आखिरी चंद्र ग्रहण:ज्योतिषाचार्य डॉ पंडित श्याम मनोहर चतुर्वेदी के अनुसार चंद्रग्रहण की शुरुआत भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजकर 41 मिनट से होगी और ये शाम 6 बजकर 20 मिनट पर चंद्रग्रहण समाप्त होगा. ग्रहण की शुरुआत भारत में दोपहर के समय में होगी, इसलिए चंद्रमा दिखाई नहीं देगा, लेकिन शाम होते ही चंद्रोदय के साथ ग्रहण दिखने लगेगा. चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले यानी सुबह 8:20 से शुरू हो जाएगा और शाम 6:20 पर समाप्त होगा. चंद्रोदय का समय स्थान के हिसाब से अलग-अलग रहता है. भारत में चंद्रग्रहण चंद्रोदय के साथ शाम 5:20 से दिखने लगेगा. सागर में चंद्रोदय के साथ 5:34 से शुरू होकर 6:18 पर समाप्त होगा. सागर में चंद्रग्रहण की अवधि 44 मिनट 37 सेकंड होगी.
ग्रहण काल और भोजन:ज्योतिषाचार्य पंडित डॉक्टर श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण के समय कुछ खास बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. ग्रहण का सूतक शुरू होने के पहले घर में रखे खाने के सामान में कुश या तुलसी के पत्ते डालना चाहिए. ताकि सूतक काल में खाने-पीने की चीजें जो अशुद्ध हो जाती है वह इससे शुद्ध हो जाए. ग्रहण के दौरान खाना खाने से बचना चाहिए. चंद्र ग्रहण की 'नकारात्मक ऊर्जा' से भोजन अशुद्ध हो जाता है, जो शरीर को भी नुकसान पहुंचाता है. स्कंदपुराण में उल्लेख है कि जो व्यक्ति ग्रहण काल में खाना खाता है उसके सभी पुण्य कार्य समाप्त हो जाते हैं. जैसे ही ग्रहण समाप्त हो, तब तुरंत स्नान करने के बाद ही कुछ खाएं. वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि भोजन अधिक कॉस्मिक किरणों के संपर्क में आने से खाने योग्य नहीं रहता है. ग्रहण के दौरान बहुत से कीटाणु वातावरण में होते हैं. हालांकि इस दौरान बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और मरीजों को जरुरत महसूस होने पर खाना या दवा दे सकते हैं. इस स्थिति में दोष नहीं माना जाता है.