सागर।कूडो प्लेयर शैलेंद्र कुर्मी के लिएपरिवार और रिश्तेदारों की मदद से एक लाख रुपए तो इकट्ठा कर लिए है, लेकिन बाकी पैसा इकट्ठे करने में ना तो उसे प्रशासन से मदद मिल रही है और ना कोई जनप्रतिनिधि मदद के लिए आगे आ रहा है. ऐसे में हार थककर शैलेंद्र कुर्मी ने सड़कों और चौराहों पर आर्थिक मदद मांगना शुरू कर दिया है. उसका कहना है कि अगर 100 रुपए की भी मदद करेगा, तो उसके लिए बहुत बड़ी बात होगी.
लगातार 6 साल की मेहनत से कूडो वर्ल्डकप में चयन: राहतगढ़ विकासखंड के भैंसा गांव के किसान परिवार में जन्मे शैलेंद्र कुर्मी का एक भाई और एक बहन है. शैलेंद्र कुर्मी बताते हैं कि "जब मैं 9 वीं कक्षा में था. तभी मैंने कूडो खेलने की प्रैक्टिस शुरू की और मेरा कूडो में बहुत मन लगने लगा. लगातार प्रैक्टिस से मनोबल बढ़ा और मैंने प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. मैंने स्थानीय स्तर पर कूडो की कई प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और लगातार जीत मिलने लगी, तो मैंने नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लिया. लगातार 6 साल कूडो खेल में 2 अंतर्राष्ट्रीय और 8 राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल मिले हैं. पिछले साल मुंबई में आयोजित इंटरनेशनल कूडो टूर्नामेंट में मुझे गोल्ड मेडल हासिल हुआ था. हाल ही में अपने प्रदर्शन को बरकरार रखते हुए शैलेंद्र कुर्मी ने कुडो वर्ल्ड कप में क्वालीफाई किया है. कूडो इंटरनेशनल फेडरेशन इंडिया द्वारा 9 मई से 16 मई तक जापान के टोक्यो में कूडो वर्ल्ड कप का आयोजन किया जा रहा है.
किसान के बेटे ने 6 साल मेहनत कर कूडो वर्ल्डकप में बनाई जगह, पैसों की कमी के चलते जापान जाना मुश्किल। - Shailendra Kurmi selected in Kudo World Cup
किसान का बेटा 6 साल लगातार मेहनत कर कई प्रतियोगिता में पदक जीतकर कूडो वर्ल्डकप में जगह बनाता है. लेकिन पैसों की कमी के चलते उसे अपना सपना पूरा करने में काफी दिक्कतें आ रही है. सागर के राहतगढ़ विकासखंड के भैंसा गांव का रहने वाले शैलेंद्र कुर्मी को जापान के टोक्यो में कूडो इंटरनेशनल फेडरेशन इंडिया द्वारा मई महीने में आयोजित होने वाले कूडो वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने के लिए उसे 3 लाख रुपए की जरूरत है.
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फसल बर्बाद होने से टूट सकता है सपना: कूडो वर्ल्ड कप में चयन होने के बाद शैलेंद्र कुर्मी काफी खुश था कि उसे अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका वर्ल्ड लेवल की चैंपियनशिप में मिलेगा, लेकिन पिछले दिनों हुई ओलावृष्टि और बारिश ने उसका सपना तोड़ दिया. उसके परिवार के पास 6 एकड़ जमीन है और उसे उम्मीद थी कि अच्छी फसल आएगी, तो कुछ पैसा घर से मिल जाएगा. लेकिन बारिश और ओलावृष्टि ने उसका सपना तोड़ दिया. शैलेंद्र के लिए टोक्यो जाने के लिए 3 लाख रुपए की जरूरत है. उसने खुद पैसों की व्यवस्था करने के लिए दोस्तों और परिजनों की मदद से चाय की दुकान भी खोली, लेकिन वह नहीं चल पायी। फसल खराब होने के बाद उसने जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से आर्थिक मदद की गुहार लगायी, तो कोई मदद के लिए आगे नहीं आया. ऐसे में शैलेंद्र अपनी डिग्री और मेडल लेकर सड़क और चौराहों पर लोगों से आर्थिक मदद मांग रहा है और कह रहा है कि अगर 100 रुपए की लोग मदद करेंगे, तो मई तक बकाया पैसा उसे मिल जाएगा और वह जापान जा सकेगा.