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Walk On Fire in Sagar: यहां 400 सालों से दहकते अंगारों पर चलते हैं लोग, जानिए एमपी के रहस्यमयी सागर श्रीदेव खंडेराव मंदिर का राज - एमपी के रहस्यमयी सागर श्रीदेव खंडेराव मंदिर का राज

Walk On Fire in Sagar: करीब 400 साल से चली आ रही परंपरा का लोग आज भी निर्वहन कर रहे हैं. मनोकामना पूर्ति पर लोग अग्नि कुंड में दहकते अंगारों से निकलकर श्री देव खंडेराव का स्मरण करते हैं. इस साल यह मेला 9 दिसंबर से शुरू होकर 18 दिसंबर तक चलेगा. श्री देव खंडेराव से सच्चे मन से जो भी मनौती मांगी जाती है, उसके पूरे होने पर पीले वस्त्र धारण कर परंपरागत तरीके से श्री देव खंडेराव की पूजा अर्चना करने के बाद लोग अग्निकुंड के दहकते अंगारों से निकलते हैं. (trending news of mp)

shridev khanderao
श्रीदेव खंडेराव खंडवा

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Published : Dec 11, 2021, 4:08 PM IST

सागर। देवरी विकासखंड में स्थित प्राचीन देव खंडेराव मंदिर में हर साल चंपा छठ से अग्निकुंड मेले की शुरुआत होती है. कहा जाता है कि यह परंपरा करीब 400 साल पुरानी है और आज भी चली आ रही है. मनोकामना पूर्ति पर लोग अग्नि कुंड में दहकते अंगारों से निकलकर श्री देव खंडेराव (shridev khanderao temple of sagar mp) का स्मरण करते हैं. इस साल यह मेला 9 दिसंबर से शुरू होकर 18 दिसंबर तक चलेगा. श्री देव खंडेराव से सच्चे मन से जो भी मनौती मांगी जाती है, उसके पूरे होने पर पीले वस्त्र धारण कर परंपरागत तरीके से श्री देव खंडेराव की पूजा अर्चना करने के बाद लोग अग्निकुंड के दहकते अंगारों से निकलते हैं. हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु देवरी पहुंचते हैं और श्री देव खंडेराव मंदिर में भरने वाले अग्निकुंड मेले में शामिल होते हैं.

एमपी के रहस्यमयी सागर श्रीदेव खंडेराव मंदिर का राज

कहां स्थित है श्री देव खंडेराव मंदिर
सागर संभागीय मुख्यालय पर नेशनल हाईवे-44 पर स्थित देवरी विकासखंड में श्री देव खंडेराव का मंदिर है. यह मंदिर करीब 400 साल पुराना है. इस मंदिर का निर्माण मराठा पेशवाओं ने कराया था. यह मंदिर सागर संभागीय मुख्यालय से 65 किमी दूरी पर है. वहीं नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से 75 किमी दूरी पर है. यहां प्रतिवर्ष अग्हन शुक्ल की षष्ठी यानि चंपा छठ के दिन से पूर्णिमा तक मेला लगता है. इस मेले में शामिल होने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं और मनोकामना पूर्ति होने पर श्री देव खंडेराव की पूजा अर्चना कर अग्निकुंड में दहकते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं.

कब से शुरू हुई परंपरा
कहा जाता है कि यह मंदिर करीब 400 साल पुराना है और अग्निकुंड मेले का इतिहास भी इतना पुराना है. इस इलाके में यशवंतराव का अधिपत्य था. उनके इकलौते पुत्र किसी अज्ञात बीमारी से पीड़ित होकर मृतप्राय हो गए थे. तब राजा यशवंतराव ने श्री देव खंडेराव की प्रार्थना की और कहा कि आपके ही आशीर्वाद से यह पुत्र प्राप्त हुआ है. कृपया कर उसकी रक्षा करें. उसी रात राजा यशवंतराव को श्री देव खंडेराव ने दर्शन दिए और कहा कि तुम मेरे दर्शन करके बाएं हाथ में हल्दी लगाकर प्रार्थना करो और एक आयताकार नाव की आकृति का कुंड बनाकर एक मन लकड़ी डालकर विधि विधान से पूजा करो और ठीक 12 बजे नंगे पैर आग पर चलो. ऐसेा करने से बेटा ठीक हो जाएगा. राजा यशवंतराव ने ऐसा ही किया और खंडेराव ने उनकी प्रार्थना को सुना और उनके पुत्र को स्वस्थ कर दिया. तभी से यह परंपरा चली आ रही है.

कैसे मांगी जाती है मनोकामना(sagar temple superstition)
इस मंदिर में अपनी कोई मनोकामना लेकर जो भी भक्त पहुंचता है, तो उसे श्री देव मंदिर में अपने बाएं हाथ में हल्दी लगाकर छापा बनाना होता है. जब मनोकामना पूरी हो जाती है, तो दाएं हाथ से छापा बनाना आवश्यक है. इसके बाद अग्नि कुंड के समक्ष खंडेराव की पूजा की जाती है. फिर सभी लोग श्रीदेव खंडेराव का स्मरण कर दहकते अंगारों पर से निकलते हैं.

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हजारों की संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु
देवरी में श्री देव खंडेराव मंदिर के समक्ष आयोजित होने वाले इस 10 दिवसीय मेले में खासकर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के अलावा सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के श्रद्धालु काफी संख्या में पहुंचते हैं. शुरुआत में ये मेला सिर्फ 5 दिन आयोजित होता था. हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ होने के कारण इसकी अवधि 5 दिन और बढ़ा कर 10 दिन की कर दी गई है. प्रशासन के लिए इस मेले के लिए काफी पुख्ता इंतजाम करने होते हैं.

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