मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के शिष्य को मिली मदद, विधायक प्रदीप लारिया ने बढ़ाया हाथ, ETV Bharat का किया धन्यवाद

सागर में रह रहे हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के शिष्य टेकचंद यादव को अब स्थानीय विधायक का सहारा मिल गया है. विधायक प्रदीप लारिया ने टेकचंद की मदद करते हुए उनके लिए दोनों समय के खाने का इंतजाम करा दिया है. इसके साथ ही वे उनके घर का भी जुगाड़ कर रहे हैं, पढ़ें पूरी खबर...

tekchand get help from mla pradeep laria
टेकचंद को मिली विधायक प्रदीप लारिया से मदद

By

Published : Feb 11, 2023, 5:24 PM IST

टेकचंद को मिली विधायक प्रदीप लारिया से मदद

सागर। शहर के कैंट इलाके में एक टूटे-फूटे घर में अकेले जीवन बिता रहे मेजर ध्यानचंद के शिष्य 82 साल के टेकचंद यादव की खबर कुछ महीने पहले ईटीवी भारत ने प्रमुख्ता से दिखाई थी, जिसपर अब स्थानीय विधायक प्रदीप लारिया ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है. प्रदीप लारिया ने ईटीवी भारत की पहल पर धन्यवाद देते हुए टेकचंद यादव के लिए दोनों समय के खाने का इंतजाम कराया है. इसके साथ ही एक अच्छे कमरे के इंतजाम में भी विधायक जुट गए हैं.

हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के शिष्य बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर, सरकार से नहीं कोई उम्मीद

रंग लाई ईटीवी भारत की मुहिम:22 नवंबर 2022 को हमने सागर के उस होनहार खिलाड़ी के बदहाल जीवन की हकीकत दुनिया के सामने लाई थी, जो हॉकी के जादूगर रहे मेजर ध्यानचंद के शिष्य हैं. ये जवानी के दिनों में अपने गुरु की ही तरह हॉकी में अपना जौहर दिखा चुके हैं. आज वह बेसहारा हैं और उनके पीछे कोई नहीं है. ऐसी स्थिति में वह एक झोपड़ी नुमा मकान में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं और खाने-पीने व दवाइयों का इंतजाम भी बमुश्किल से कर पाते हैं. जब ईटीवी भारत ने उनकी बदहाली की हकीकत सबके सामने रखी, तब स्थानीय विधायक प्रदीप लारिया उनसे मिलने पहुंचे और उन्हें दोनों वक्त के खाने के इंतजाम के साथ उनके रहने के लिए इंतजाम में जुट गए हैं.

Khelo India Youth Games का समापन आज, भोपाल की शान बोट क्लब पर होगा रंगारंग कार्यक्रम

अकेले बदहाल जीवन जीने को मजबूर:महज 26 साल की उम्र में टेकचंद यादव का जब करियर उछाल पर था तब उनके पिता की मौत हो गई. इसकी वजह से उन्हें हॉकी खेल छोड़ना पड़ा और परिवार का व्यवसाय संभालना पड़ा. धीरे-धीरे टेकचंद यादव हॉकी से दूर हो गए और फिर परिवार में भी अकेले बचे. आज वह अपने परिवार के ही एक जर्जर मकान में जीवन बिता रहे हैं. उम्र के कारण उनकी याददाश्त भी कमजोर हो गई है. कई सवालों का जवाब दे पाते हैं और कई सवालों पर चुप हो जाते हैं. हॉकी सीखने वाले उनके कई शिष्य उनकी समय-समय पर मदद करते रहते हैं और उनके साथ वक्त बिताने के लिए पहुंच जाते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details