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कलेक्टर कार्यालय में रखे हनुमान और शिवलिंग प्रतिमाएं हटाने के आदेश, हिंदूवादी संगठनों ने किया हंगामा - 700 years old Aeon Tree sagar

सागर के कलेक्टर ऑफिस में 700 साल पुराने कल्प वृक्ष के नीचे स्थापित देव प्रतिमाओं को हटाने के आदेश दिए गए थे, जिसकी जानकारी लगते ही धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों ने जमकर विरोध किया.

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हनुमान व शिवलिंग को हटाने के आदेश, हिंदूवादी संगठनों ने किया हंगामा

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Published : Aug 7, 2020, 1:34 PM IST

सागर। कलेक्टर कार्यालय परिसर में स्थित 700 साल पुराने कल्प वृक्ष के नीचे स्थापित देव प्रतिमाओं को रात के अंधेरे में गुपचुप तरीके से उखाड़ कर हटाने की कोशिश को धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों के विरोध के चलते रोकना पड़ा.

अखिलेश जैन, एडीएम, सागर

गुरुवार रात को कलेक्टर कार्यालय में तैनात एक अधिकारी के आदेश पर कुछ कर्मचारी और मजदूर कल्प वृक्ष के नीचे स्थित चबूतरे से प्रतिमाओं को खोदने की कोशिश कर रहे थे. खबर लगते ही धार्मिक और सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट परिसर में जमा हो गए और हंगामे की स्थिति बन गई. करीब 2 घंटे तक शहर भर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली हरकत से नाराज रहे. स्थिति बिगड़ती देख परिसर में भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा.

कपिल स्वामी, हिन्दू संगठन

लोगों को समझाने के लिए एडीएम अखिलेश जैन, एडिशनल एसपी प्रवीण भूरिया और अन्य अधिकारी भी मौके पर पहुंचे. लोगों में इतना आक्रोश था कि अधिकारियों को उनकी खरी-खोटी सुनना पड़ी. लोग कलेक्ट्रेट परिसर स्थित प्राचीन कल्प वृक्ष को नुकसान पहुंचाने की आशंका से इतने नाराज थे कि उन्होंने अधिकारियों पर सवाल दागने शुरू कर दिए, लेकिन अधिकारी उनका जवाब नहीं दे सके.

लोगों का कहना था कि कलेक्टर कार्यालय परिसर जैसी सुरक्षित और कवर्ड जगह में इस तरह धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत कोई कैसे कर सकता है. यदि प्रशासन किसी वजह से प्रतिभाओं को विस्थापित करने वाला था तो इसे रात के अंधेरे में क्यों किया जा रहा था, लोगों से चर्चा कर ये काम दिन में भी हो सकता है.

मामला बिगड़ते देख अधिकारियों ने लोगों को आश्वस्त कर शांत कराया. बताया जा रहा है कि ऐतिहासिक कल्प वृक्ष के नीचे बरसों पहले श्रद्धालुओं द्वारा प्रतिमाओं को स्थापित किया गया था. यहां शहर भर के लोग पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं. प्रतिमाओं को विस्थापित करने के लिए तोड़फोड़ करने से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. उधर अधिकारियों का कहना था कि चबूतरे पर अनाधिकृत रूप से रेलिंग लगाई जा रही थी, जिसे रोकने और हटाने के लिए ही वहां पर मजदूरों को भेजा गया था, लेकिन वहां मौजूद लोगों को रेलिंग लगाने जैसा कोई भी काम नजर नहीं आया.

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