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अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री ने दिया ये बयान, नई शिक्षा नीति पर की चर्चा - ओपन बुक प्रणाली

सागर पहुंचे उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने नई शिक्षा नीति को लेकर चर्चा की. मोहन यादव का कहना है कि नई शिक्षा नीति से उच्च शिक्षा में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे. नई शिक्षा नीति का उद्देश्य उच्च शिक्षा पद्धति को और उत्कृष्ट करना है.

Higher education minister discussed
उच्च शिक्षा मंत्री ने की चर्चा

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Published : Sep 24, 2020, 12:55 PM IST

सागर। मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव संभागीय महाविद्यालय के प्राचार्यों की बैठक लेने के लिए सागर पहुंचे. इस दौरान मंत्री यादव ने कई अहम विषयों पर चर्चा की. मोहन यादव ने नई शिक्षा नीति के कई बिंदुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति से उच्च शिक्षा में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे. नई शिक्षा नीति का उद्देश्य उच्च शिक्षा पद्धति को और उत्कृष्ट करना है. जिसके अंतर्गत विश्वविद्यालय स्तर पर शोध कार्य ही संपन्न होंगे. नई शिक्षा नीति का उद्देश्य यही है कि केवल डिग्री हासिल करने के लिए छात्र उच्च शिक्षा ना लें.

उच्च शिक्षा मंत्री ने की चर्चा
नियमितीकरण के लिए शासन स्तर पर कमेटी

उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश के शासकीय महाविद्यालय में लंबे समय से कार्यरत अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण को लेकर भी शासन स्तर पर कमेटी बनाई गई है. जिससे कि लोक सेवा आयोग के माध्यम से भविष्य में होने वाली सहायक प्राध्यापकों की भर्ती में अतिथि विद्वानों को लाभ मिल सके. यादव ने कहा कि प्रदेश में 517 शासकीय महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं. इसमें 10 हजार प्राध्यापकों की जरूरत है. वर्तमान में 6,500 नियम शिक्षक शिक्षिकाओं के माध्यम से अध्यापन कार्य कराया जा रहा है. साथ ही विभाग द्वारा अतिथि विद्वानों और द्वितीय पाठ्यक्रम में अध्यापन कार्य कराया जा रहा है. उनका कहना है कि अतिथि विद्वानों के भविष्य को लेकर सरकार संवेदनशील है.


20 एक्सीलेंस कॉलेजों को एक ग्रेड में लाने की तैयारी

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में 20 एक्सीलेंस कॉलेजों को एक ग्रेड में लाने की तैयारी है. वर्तमान में एकमात्र एक्सीलेंस कॉलेज भोपाल को ए ग्रेड मिला है. आने वाले समय में 50 भवन विहीन महाविद्यालयों को अपने भवन में शिफ्ट किया जाएगा. 200 महाविद्यालयों को सर्व सुविधा युक्त बनाया जाएगा. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते विश्वविद्यालय स्तर की परीक्षाएं समय पर नहीं कराई जा सकीं. डिग्री का महत्व बनाए रखने के उद्देश्य से परीक्षा को ओपन बुक प्रणाली के माध्यम से कराई गई हैं. जिसमें छत्रसाल विश्वविद्यालय छतरपुर सागर संभाग में आयोजित परीक्षा में 44 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए हैं. परीक्षा प्रणाली में बदलाव को लेकर परीक्षा रिफॉर्म कमिटी भी बनाई गई है. ओपन बुक प्रणाली में भी प्रश्न पत्रों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया गया है. परंपरागत परीक्षा प्रणाली के विकल्प तलाशे जा रहे हैं. नई शिक्षा नीति को लेकर प्रदेश में 52 जिलों में से 28 जिलों में शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य से सीधी कर जायजा लिया जा रहा है.

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