सागर। गर्मी का मौसम शुरू होते ही आगजनी की घटनाएं देखने और सुनने मिलती हैं. आमतौर पर खेत-खलिहानों और सड़क चलते ऐसी घटनाएं आम होती हैं. मध्य प्रदेश में आगजनी की घटनाओं को लेकर इंतजाम की जांच पड़ताल करने पर पता चलता है कि इन घटनाओं को लेकर ना तो सरकार सजग है और ना ही प्रशासन गंभीर है. देश के 22 राज्यों में फायर सेफ्टी एक्ट लागू किया गया है, लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसा कोई एक्ट नहीं है.
सरकार ने आगजनी के सुरक्षा उपायों के जो नियम बनाए हैं, उनको लेकर आम जनता भी गंभीर नहीं है. भ्रष्टाचार या फर्जीवाड़ा करके व्यापारी और उद्योगपति फायर सेफ्टी एनओसी हासिल कर लेते हैं. प्रदेश के बड़े शहरों में अलग से फायर ब्रिगेड की व्यवस्था है, लेकिन मझोले और छोटे शहरों में पुलिस के माध्यम से नगर निगम या नगर पालिका अग्निशमन सेवाएं दे रही है. जिनमें पेशेवर फायर फाइटर और उपकरणों की भारी कमी देखने को मिलती है. इस मामले में देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...
संसाधनों की कमी से जूझ रहा दमकल विभाग - सागर जिले में आगजनी की घटनाएं
सागर जिले में आमतौर पर हर साल 200 से लेकर 300 तक आगजनी की घटनाएं सामने आती है. इन घटनाओं में ज्यादातर खेत-खलिहान में आग लगने की घटनाएं होती है. सिलेंडर फटने, शार्टसर्किट और पटाखों के कारण आग लगने के हादसे भी होते हैं, लेकिन तुलनात्मक रुप से देखे तो सबसे ज्यादा खेत-खलिहान में आग लगने की घटनाएं होती है.
- 2020 में सागर शहर सहित पूरे जिले में 213 आगजनी की छोटी बड़ी घटनाएं सामने आई हैं. इनमें ज्यादातर घटनाएं खेत-खलियानों में आग लगने के अलावा शार्ट सर्किट और दीपावली के समय पटाखे-आतिशबाजी के कारण होने वाली घटनाएं हैं.
- 2021 में अब तक सागर शहर सहित पूरे जिले में आगजनी की 70 घटनाएं सामने आई हैं. जिनमें ज्यादातर घटनाएं खेत-खलिहान में मार्च और अप्रैल में सामने आई हैं.
- भ्रष्टाचार को भी मिलता है बढ़ावा
प्रदेश सरकार ने आगजनी के सुरक्षा उपायों के जो नियम बनाए हैं, उनको लेकर आम जनता भी गंभीर नहीं है. कई बार भ्रष्टाचारी उद्योगपति फर्जीवाड़ा करके सरकार से आगजनी की घटना दिखाकर फायर सेफ्टी एनओसी हासिल कर लेते हैं. एनओसी हासिल करके ये उद्योगपति बीमा क्लेम करके लाखों के बीमे के हकदार भी बन जाते है. प्रदेश के बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों तक इस तरह से फर्जीवाड़ा करके बीमे की राशी लेना आम बात हो गई है.
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- सागर शहर और जिले में अग्निशमन सेवाओं की स्थिति
सागर शहर में आगजनी की घटनाओं को लेकर पुलिस कंट्रोल रूम के माध्यम से नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद के माध्यम से संचालित की जाती हैं. आगजनी की घटना होने पर पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी जाती है. पुलिस कंट्रोल रूम संबंधित नगरीय निकाय की अग्निशमन सेवाओं के जरिए आगजनी पर काबू पाने की कोशिश करता है. नगर निगम के पास आगजनी से निपटने के लिए एक फायर ब्रिगेड सेवा की उपलब्धता होती है.
- सागर नगर निगम के पास 6 फायर ब्रिगेड की गाड़ियां हैं. इसके अलावा जिले में 5 नगर पालिका और नगर परिषद स्तर पर 9 फायर ब्रिगेड है.
- सागर नगर निगम में सिर्फ एक फायर फाइटर नियुक्त है. इसके अलावा नगर निगम के दूसरे विभाग के कर्मचारियों की नियुक्ति अग्निशमन सेवा में कर दी गई है.
- सागर जिले की पांच नगर पालिका हो बीना, खुरई, रेहली, देवरी और गढ़ाकोटा में भी फायर ब्रिगेड हैं. इनका मूवमेंट पुलिस कंट्रोल रूम के जरिए आगजनी की घटना के आधार पर होता है.
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- मध्य प्रदेश में नहीं फायर सेफ्टी एक्ट
देश के 22 राज्यों की सरकारों ने फायर सेफ्टी एक्ट लागू करके रखा है. इसके आधार पर फायर सेफ्टी के नियम तय किए गए हैं और नियमों का पालन ना होने की स्थिति में कानूनी कार्रवाई और सजा का प्रावधान भी है. लेकिन मध्य प्रदेश में इस तरह का कोई एक्ट नहीं है. जिन राज्यों में यह एक्ट लागू है, वहां पर पुलिस के हाथ में अग्निशमन की कमान हैं. पुलिस के हाथ में कमान होने के कारण फायर सेफ्टी को लेकर लोग सजग रहते हैं और आगजनी की घटनाओं में तत्पर कार्रवाई में पुलिस और नगर निगम की अपेक्षा ज्यादा कारगर होती है.
- जानकारों से जानते है उनकी राय
सागर के स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के अग्निशमन एवं आपदा प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष मनीष दुबे बताते हैं कि आमतौर पर खेत-खलियान से गुजरने वाली बिजली की लाइनों से सुरक्षा रखने के अलावा बीड़ी और सिगरेट का उपयोग नहीं करना चाहिए. गर्मी में वाहनों के टायर से होने वाली आगजनी को लेकर सुरक्षा के उपाय करना चाहिए. बड़े शापिंग मॉल, होटल और इमारतों में फायर सेफ्टी के पर्याप्त इंतजाम होना चाहिए. चीफ फायर ट्रेनर केके सिंह का कहना है कि खेत-खलिहान में बिजली के तारों और बीड़ी-सिगरेट के उपयोग के कारण ऐसी घटनाएं होती हैं. इसके अलावा सड़क दुर्घटना के समय जो कांच के टुकड़े होते हैं, वह भी आगजनी की घटना के कारण बनते हैं. बिजली के लूज कलेक्शन, ओवर लोडिंग जैसी चीजों के कारण भी आगजनी की घटनाएं होती हैं.