सागर। पिछले चार-पांच सालों से सोयाबीन (Soybean) का उत्पादन गिर जाने के कारण बुंदेलखंड (Bundelkhand) के किसानों (Farmers) ने सोयाबीन से हाय तौबा कर ली थी, और ज्यादातर किसानों ने सोयाबीन की जगह पर उड़द (Urad) की फसल को अपनाया था. सोयाबीन का रकबा जिले में करीब 1 लाख हेक्टेयर कम हुआ था और उड़द का रकबा दोगुना हो गया था. लोगों को उम्मीद थी कि उड़द की फसल लगातार 5 साल से नुकसान झेल रहे किसानों के लिए राहत देगी, लेकिन उड़द की फसल में येलो मोजैक वायरस (Yellow Mosaic Virus) के कारण किसानों को काफी नुकसान की संभावना है. कृषि वैज्ञानिकों (Agricultural scientists) का कहना है कि कीटनाशक (insecticide) के जरिए येलो मोजिक (Yellow Mosaic) से हो रहे उड़द के नुकसान को बचाया जा सकता है.
बुंदेलखंडी (Bundelkhand) इलाके में बड़े पैमाने पर सोयाबीन की फसल को बोया जाता था. प्रतिवर्ष करीब चार लाख हेक्टेयर में किसान सोयाबीन की फसल उगाते थे, लेकिन पिछले चार-पांच सालों से सोयाबीन का उत्पादन लगातार गिरता जा रहा था.किसानों को काफी नुकसान हो रहा था और सोयाबीन लगाने की लागत भी बढ़ती जा रही थी. इन परिस्थितियों के चलते मौजूदा खरीफ सीजन में किसानों ने बड़े पैमाने पर सोयाबीन को छोड़कर उड़द फसल उगाने का फैसला किया था. मौजूदा सीजन में सोयाबीन का रकबा 4 लाख हेक्टेयर से गिरकर 3 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. वहीं उड़द का रकबा 70 हजार हेक्टेयर से बढ़कर डेढ़ लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है.
येलो मोजिक वायरस का शिकार हुई उड़द की फसल
सोयाबीन को भूलकर उड़द को अपनाने वाले किसानों को उम्मीद थी कि पिछले 5 सालों से हो रहे नुकसान की कुछ भरपाई इस साल उड़द की फसल से हो जाएगी, लेकिन येलो मोजैक वायरस के चलते उड़द की फसल को काफी नुकसान हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक सागर जिले में 30 से 40% उड़द की फसल येलो मोजैक वायरस के कारण खराब हुई है. मक्खी से फैलने वाला यह वायरस तेजी से उड़द की फसल को नुकसान पहुंचा रहा है.