सागर। कोरोना की दूसरी लहर ने जमकर कहर बरपाया हुआ है. पहली लहर में कोरोना संक्रमण शहरी क्षेत्रों में देखने को मिला था, लेकिन दूसरी लहर में कोरोना गांव-गांव पहुंच गया है. गांव में पैर पसार रहे कोरोना काबू पाने के लिए सरकार ने 'किल कोरोना' अभियान भी चलाया है. वहीं दूसरी तरफ जागरूक ग्रामीण कोरोना की भयावहता को समझ कर खुद ही ऐसे फैसले कर रहे हैं, जो कोरोना संक्रमण को रोकने में कारगर साबित हो रहे हैं. इसी कड़ी में सागर जिले के राहतगढ़ विकासखंड की आदिवासी ग्राम पंचायत चौकी ने एक अहम फैसला किया है. गांव में मास्क न पहनने वालों को सजा के तौर पर अनोखी सजा दी जा रही है.
सजा के तौर पर दिया जाता है मास्क और पांच फलदार पौधे
ग्राम पंचायत चौकी में अगर कोई भी ग्रामीण घर के बाहर बिना मास्क के निकलता है, तो उसे सजा के तौर पर एक मास्क और पांच फलदार पौधे दिए जाते हैं. सजा पाने वाले ग्रामीणों को यह पौधे अपने घर पर या खेत पर लगाने होते हैं. एक साल तक उसकी सेवा करनी पड़ती है. अनोखी सजा की निगरानी के लिए एक समिति भी बनाई गई है, जो मास्क न पहनने वालों पर नजर रखती है. इसके अलावा सजायाफ्ता ग्रामीणों द्वारा पौधे लगाए गए हैं कि नहीं उसकी भी निगरानी करती है.
आदिवासी ग्राम पंचायत चौकी का अनोखा फैसला
कोरोना संक्रमण पर काबू पाने और गांव में कोविड-19 गाइडलाइन का पालन कराने के लिए जिले के राहतगढ़ विकासखंड की चौकी पंचायत ने अनोखा फैसला लिया है. जिला मुख्यालय सागर से करीब 35 किमी दूर यह पंचायत सागर भोपाल मार्ग पर स्थित है. यहां के ग्रामीणों को जब पता चला कि कोरोना अब शहर की सीमाएं पार करते हुए गांव में प्रवेश कर गया है और तेजी से संक्रमण फैल रहा है. ग्रामीण इलाकों में इलाज की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण कोरोना से बचाव के लिए जरूरी है कि कोविड-19 गाइडलाइन का सख्ती से पालन कराया जाए. ऐसी स्थिति में ग्रामीणों ने फैसला लिया कि अनावश्यक घूमने वाले, मास्क न लगाने वाले लोगों के अलावा अगर लोग ज्यादा संख्या में एक जगह इकट्ठे होते हैं, तो उन्हें सजा दी जाएगी. सजा के तौर पर तय किया गया कि ग्रामीणों को पांच पौधे दिए जाएंगे, जिन्हें उन्हें अपने खेत या घर में लगाना होगा और एक साल तक उनकी परवरिश भी करनी पड़ेगी.