सागर।रबी सीजन (Rabi Season) की फसलों के लिए उपजे मध्य प्रदेश में खाद संकट (Fertilizer Crisis in Madhya Pradesh) को काबू करने का सरकार कितना भी दावा करें, लेकिन खाद की समस्या जस की तस बनी हुई है. खाद वितरण केंद्रों पर अभी भी लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं. फसल की बोवनी के लिए किसानों ने खेत तैयार कर लिए हैं, लेकिन गेहूं की फसल (Wheat Crop) की बुवाई के लिए जरूरी डीएपी खाद वितरण केंद्रों पर खत्म हो गई है.
किसान महंगे दामों में बाजार से खाद खरीदने के लिए मजबूर है. किसानों का कहना है कि सरकार जानबूझकर डीएपी नहीं दे रही है. ताकि सरकार को समर्थन मुल्य पर गेहूं ना खरिदने पड़े. वहीं दूसरी तरफ प्रशासन डीएपी की उपलब्धता को लेकर सीधे तौर पर इंकार कर रहा है. प्रशासन का कहना है कि किसानों को डीएपी के विकल्प उपयोग में लाना चाहिए.
किसानों का आरोप सरकार जानबूझकर नहीं दे रही DAP गेहूं की बुवाई के लिए खेत तैयार, नहीं मिल रही डीएपी
रबी के सीजन की फसल बुवाई अंतिम चरण में हैं. खेत गेहूं की फसल की बुवाई के लिए तैयार है. दूसरी ओर किसान फसल की बुवाई के लिए जरूर डीएपी खाद के लिए दर-दर ठोकरें खा रहा है. दो-तीन दिन से किसान खाद के लिए वितरण केंद्रों पर कतारों में खड़ा है, लेकिन उसे डीएपी हासिल नहीं हो पा रही है. किसानों का कहना है कि गेहूं की फसल की बुवाई के समय डीएपी खाद बहुत जरूरी होती है. हमने खेत में पानी देकर बोवनी की तैयारी कर ली है, लेकिन खाद नहीं मिल रही है. जहां भी खाद लेने जा रहे हैं, कहा जा रहा है कि डीएपी नहीं है.
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जानबूझकर खाद नहीं दे रही सरकार
खाद के संकट को देखते हुए परेशान किसान सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार जानबूझकर खाद उपलब्ध नहीं करा रही है, क्योंकि खाद मिल जाने से पैदावार अच्छी होगी और फिर सरकार को किसानों का गेहूं खरीदना होगा. सरकार अभी भी एमएसपी पर महज 6 फीसदी गेहूं खरीदती है, अब सरकार वह भी नहीं खरीदना चाहती. किसानों को समय पर खाद नहीं मिलेगी, तो फसल चौपट हो जाएगी और सरकार को फिर समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं करनी पड़ेगी.
किसान दूसरे विकल्प को तलाश करें- कृषि विभाग
किसान कल्याण एवं कृषि विभाग के उपसंचालक बीएल मालवीय का कहना है कि किसानों के दिमाग पर डीएपी चढ़ी हुई है. डीएपी में मुख्य तौर पर 18% नाइट्रोजन, 40% फास्फोरस और 0% पोटाश होता है. फसल के लिए इन तत्वों की पूर्ति हम दूसरी खाद से कर सकते हैं. यदि आपको डीएपी नहीं मिलता है, तो तीन बैग सिंगल सुपर फास्फेट में 20 किलो यूरिया मिलाने से डीएपी की पूर्ति हो जाती है.
यदि आपको एनपीके 12 32 16 मिलता है, तो एक बैग डीएपी की जगह एक बैग एनपीके और एक बैग एसएसपी मिला सकते हैं. यदि आपको एनपीके 10 26 26 मिलता है, तो उसके साथ एक से सवा बोरी सिंगल सुपर फास्फेट मिला देते हैं. तो आप की फसल को वही खाद मिल जाएगी, जो डीएपी के एक बैग में मिलती है. किसान डीएपी के नाम पर अड़े हुए हैं.
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सरकार और निर्माता कंपनियों में दामों को लेकर मतभेद
डीएपी के संकट को लेकर उपसंचालक बीएल मालवीय का कहना है कि शासन स्तर और कंपनी के स्तर पर खाद के दाम तय करने में मतभेद होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है. लेकिन किसानों को दूसरे विकल्प आजमाना चाहिए.