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किसानों की नई टेंशन,  पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से ऐसे पड़ी मार - कृषि विभाग

पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से खेतों की जुताई महंगी हो गई है, जिससे अन्नदाताओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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खेतों की जुताई हुई महंगी

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Published : Jun 25, 2021, 10:35 AM IST

Updated : Jun 25, 2021, 11:27 AM IST

सागर। तेजी से बढ़ रही महंगाई के कारण किसानों के लिए खेती अब 'लाभ का धंधा' नहीं, बल्कि 'महंगा सौदा' साबित हो रहा है. हालात यह हो चुके है कि कोरोना कहर के चलते खरीफ फसल की बुवाई की तैयारी कर रहे किसानों को कटाई में भी महंगाई का सामना करना पड़ रहा हैं. वहीं सोयाबीन के बीज महंगे होने से किसानों को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. हालांकि कृषि विभाग किसानों को प्रमाणित बीज और पिछले साल के दामों पर खाद मुहैया कराने की बात कर रहा है. इधर डीजल के दाम पेट्रोल के नजदीक पहुंचने लगे है, जिससे जुताई काफी महंगी पड़ रही है.



महंगे डीजल ने बढ़ाई जुताई और बुवाई की लागत


डीजल के दाम पेट्रोल के दामों से लगातार मुकाबला कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में किसानों को जुताई करना महंगा पड़ रहा है. ट्रैक्टर का किराया 1000 रुपए प्रति घंटे पहुंच गया हैं. मौजूदा दौर में बैलों द्वारा खेती की परंपरा लगभग खत्म हो चुकी है. किसान पूरी तरह से ट्रैक्टर पर निर्भर हो गए हैं.

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बीज हुआ बर्बाद


मध्य प्रदेश में खरीफ की फसल में बड़े पैमाने पर सोयाबीन की बुवाई की जाती है. सोयाबीन की खराब फसल के कारण पिछले दो-तीन वर्षों से किसानों के पास अपने ही बीज नहीं बचे हैं. ऐसे में किसानों को मजबूरी में बाजार से सोयाबीन का बीज लेना पड़ रहा है, जो उन्हें 10 हजार क्विंटल तक मिल रहा हैं.



खाद की हो रही कालाबाजारी


केंद्र सरकार के बैकफुट पर आने से खाद भले ही महंगी न हुई हों, लेकिन विक्रेताओं की कालाबाजारी के चलते किसानों को मनमाने दामों पर खाद खरीदनी पड़ रही हैं. किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से खाद नहीं दी जा रही है. ऐसे में अन्नदाता खरीफ फसल की तैयारी के लिए ठगा हुआ महसूस कर रहे है.

खेतों की जुताई हुई महंगी

किसानों को उड़द और तिल फसल पर ध्यान देना चाहिए

सोयाबीन की लागत बढ़ गई है. फसल बहुत महंगी हो गई है. पिछले साल बारिश होने से सोयाबीन का बीज खराब हो गया था, तो किसानों के पास बीज उपलब्ध नहीं है. इसलिए बाहर से बीज बाजार में आ रहा है. निश्चित रूप से महंगा हैं. कृषि विभाग के उपसंचालक बीएल मालवीय


कृषि विभाग के उपसंचालक बीएल मालवीय ने कहा किउर्वरकों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे वापस ले लिया है. इसलिए खाद को महंगा कहना सही नहीं है. जहां तक ​​सोयाबीन की फसल की बुवाई की बात है, तो सोयाबीन की लागत काफी बढ़ गई है. इसका उत्पादन भी बेहतर नहीं हो रहा है. किसानों को उड़द और तिल फसल पर ध्यान देना चाहिए.

डीजल रेट

  • जून-जुलाई 2020 में डीजल रेट : लगभग 76 रुपए
  • जून-जुलाई 2021 में डीजल रेट : लगभग 97 रुपए

    पिछले साल अफलन के कारण किसानों के पास बीज की कमी

  • 2020 में सोयाबीन बीज की कीमत : 4000-6000 रुपये क्विंटल
  • 2021 में सोयाबीन बीज की कीमत : 8000-10000 रुपये क्विंटल

    सोयाबीन का रकबा
सोयाबीन का रकबा
  • 3 लाख 82 हजार हेक्टेयर (2019)
  • 4 लाख 38 हजार हेक्टेयर (2020)
  • 2 लाख 80 हजार हेक्टेयर ( 2021 में अब तक )


    सोयाबीन उत्पादन में लगातार तीन साल गिरावट दर्ज
    सोयाबीन उत्पादन में लगातार तीन साल गिरावट दर्ज
  • 2018 : 20-25 फीसदी गिरावट
  • 2019 : 35-40 फीसदी गिरावट
  • 2020 : 40-55 फीसदी गिरावट

  • डीएपी खाद की कीमत 2020 में 1200 रुपये बोरी ( 50 किलो )
  • 2021 में सरकार ने खाद की कीमत 1900 रुपये कर दी, लेकिन किसानों के विरोध के कारण इसे वापस लिया गया
  • पर्याप्त खाद नहीं मिलने के कारण खुले बाजार से औने-पौने दामों पर किसान खरीदने को मजबूर हैं
Last Updated : Jun 25, 2021, 11:27 AM IST

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