सागर।आज से तीन साल पहले यह स्थिति थी कि खरीफ सीजन में मध्य प्रदेश का किसान सबसे ज्यादा सोयाबीन की बुवाई करता था. सोयाबीन का उत्पादन मध्य प्रदेश में काफी अच्छा होने के कारण किसानों को मोटा फायदा भी होता था. मध्य प्रदेश सरकार के ही आंकड़ों पर गौर करें तो आसानी से पता चल जाएगा कि लगातार सोयाबीन का रकबा घट रहा है. हालात ये है कि 2 सालों में सोयाबीन का रकबा करीब 8 लाख हेक्टेयर घट चुका है. एक अनुमान के मुताबिक एक साल में 16% सोयाबीन के रकबे में कमी आई है. आंकड़ों पर गौर करें तो 2019-20 में 64.99 लाख जमीन पर सोयाबीन की फसल बोई गई थी, लेकिन 2020-21 में रकबा 8 लाख हेक्टेयर कम हो गया. 2020-21 में 56.69 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई गई थी.
क्यों हो रहा है किसानों का सोयाबीन से मोहभंग :सोयाबीन सहित किसानों के मोहभंग होने के दो कारण हैं. सबसे बड़ा कारण है कि सोयाबीन की लागत का काफी बढ़ जाना और दूसरा कारण लागत के लिहाज से उत्पादन नहीं होना है. इस वजह से किसान धीरे-धीरे करके सोयाबीन की जगह दूसरी फसलों पर ध्यान दे रहा है. जहां तक सोयाबीन की बोनी की लागत की बात करें तो पिछले साल सोयाबीन का बीज 10 हजार रुपए क्विंटल तक बिका था. मौजूदा साल में 12 हजार रुपए क्विंटल सोयाबीन के बीज मिल रहा है. इसके अलावा सोयाबीन की बुवाई में डीएपी खाद की जरूरत होती है. पिछले साल के मुकाबले डीएपी खाद की बोरी पर 150 रूपए की बढ़ोतरी हो गई है. वहीं खेत की जुताई और बोनी के लिए ट्रैक्टर की लागत भी डीजल महंगा होने के कारण बढ़ गई है.