सागर। सरकार ने इस बार गेहूं का समर्थन मूल्य पिछले साल की अपेक्षा मामूली बढ़ाया था. वहीं बाजार में गेहूं के अच्छे भाव किसानों को मिले. सरकार ने बाद में लक्ष्य पूरा करने के लिए 15 दिन का समय भी बढ़ाया, लेकिन 15 दिनों में सिर्फ 10 हजार टन गेहूं खरीद केंद्र पर बिकने के लिए आया. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सागर जिले में 2021 में समर्थन मूल्य पर करीब 5 लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था. इसी को आधार मानते हुए जिले में 2022 में भी पांच लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा गया था और तमाम व्यवस्थाएं भी जुटाई गई थीं. लेकिन सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदे जा रहे गेहूं केंद्रों पर किसानों ने गेहूं बेचने में रुचि नहीं दिखाई. मौजूदा साल में 31 मई तक हुई गेहूं खरीदी में किसानों ने खरीदी केंद्र पर सिर्फ 1 लाख 54 हजार मीट्रिक टन गेहूं बेचा है.
समर्थन मूल्य पर किसानों ने रुचि नहीं दिखाई 80 हजार किसानों ने कराया पंजीयन, पहुंचे सिर्फ एक चौथाई :गेहूं खरीदी के लिए जब पंजीयन कराया जा रहा था तो सागर जिले में करीब 80 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए पंजीयन कराया था. लेकिन इन खरीदी केंद्रों पर 31 मई तक सिर्फ 21 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपना गेहूं बेचा. जिले में सरकार द्वारा सागर जिले में 188 खरीदी केंद्र बनाए गए थे. जिनमें से 18 खरीदी केंद्रों पर तो गेहूं का एक भी दाना बिकने नहीं आया.
समर्थन मूल्य पर किसानों ने रुचि नहीं दिखाई सरकार की पहले ही नहीं थी गेहूं खरीदने की मंशा :भले ही आज लक्ष्य से बिछड़ने की बात सामने आ रही है और सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. लेकिन सरकार द्वारा जो समर्थन मूल्य तय किया गया था, वह पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 40 रुपये बढ़ाया गया था. 2021- 22 में सरकार ने 1975 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं खरीदा था और किसान को 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस भी दिया था. लेकिन 2022-23 में सरकार द्वारा सिर्फ 40 रुपए बढ़ाकर समर्थन मूल्य 2015 तय किया गया था. इसके अलावा सरकार ने इस बार बोनस की भी घोषणा नहीं की. खरीदी शुरू हो जाने के बाद कई खरीदी केंद्रों पर समुचित व्यवस्थाएं भी नहीं की गई थीं.
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व्यापारियों ने समर्थन मूल्य से ज्यादा कीमत पर खरीदा :भले ही सरकार गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन जब सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी कर रही थी, तब व्यापारी द्वारा सरकार के तहत समर्थन मूल्य से 200 रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा भाव पर गेहूं खरीदा गया. ऐसी स्थिति में किसानों ने समर्थन मूल्य पर बेचने की जगह व्यापारियों को खुले बाजार में बेचना उचित समझा. क्योंकि किसानों को पैसों का भुगतान भी तुरंत हो रहा था और समर्थन मूल्य से करीब 200 रुपए ज्यादा भाव मिल रहा था. (Farmers did not get support price of wheat) (More prices in open market of wheat)