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कर्ज के बोझ के तले दबा किसान, जहर खाकर की आत्महत्या - सागर न्यूज

सागर जिले की बीना तहसील में कर्ज के बोझ तले दबे एक किसान ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. जिसके बाद परिजनों और स्थानीय विधायक समेत लोगों ने शव को सड़क पर रखकर धरना प्रदर्शन कर मुआवजे की मांग की.

धरना प्रदर्शन

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Published : Oct 28, 2019, 5:13 PM IST

सागर। बारिश का दौर खत्म हो गया है लेकिन ये आफत की बारिश किसानों की आंखों में आंसू दे गई है. इस दौरान हुए फसलों के नुकसान के चलते किसान सदमे से उभर नहीं पा रहे हैं और आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला जिले के बीना तहसील में सामने आया है. जहां एक किसान कर्ज के बोझ तले दबा हुआ था और उसे चुकाने के लिए उसकी उम्मीद भी बारिश में धुल गई थी. मजबूरन उसने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. जिसके बाद परिजनों समेत भाजपा विधायक ने शव को सड़क पर रखकर धरना प्रदर्शन किया और मुआवजे की मांग करते हुए एसडीएम को ज्ञापन सौंपा.


मामला शहर के सुभाष वार्ड का है. जहां कमल यादव नाम के एक किसान पर 40 लाख का कर्ज था. जिसे चुकाने के लिए साहूकार लगातार किसान पर दबाव बना रहे थे. जबकि किसान की फसल खराब हो चुकी थी और उसे सरकार से कोई मुआवजा भी नहीं मिला था. जिसके चलते उसने मौत को गले लगा लिया.


घटना के बाद परिजनों और बीजेपी विधायक महेश राय समेत लोगों ने शहर के गांधी तिराहे पर शव को रखकर प्रदेश की कमलनाथ सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. जिसे नियंत्रण में रखने के लिए मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया. आधा घंटे तक चले इस प्रदर्शन के बाद एसडीएम एल के मीणा मौके पर पहुंचे और पीड़ित को प्रशासन से हर संभव मदद का आश्वसन दिया. तब जाकर धरना खत्म हुआ और परिजन शव का अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हुए.


विधायक महेश राय ने कहना है कि किसान कर्ज तले दबा हुआ था. इसके अलावा प्रदेश सरकार ने की तरफ से भी उसे मुआवजा नहीं मिला. जिसके चलते किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो गया. उन्होंने कहा कि जो साहूकार किसान पर दबाव बना रहे थे. एसडीएम ने आश्वासन दिया है कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं बीना एसडीएम ने बताया कि पीड़त परिवार ने फसल नुकसान और मुआवजे के संबंध में ज्ञापन सौंपा है. प्रशासन की तरफ से हर संभव मदद की जाएगी.


इससे पहले भी प्रदेश के कई जिलों से किसान आत्महत्या की खबरें आने लगीं हैं. एक तो प्राकृतिक आपदा और दूसरी तरफ मुआवजा मिलने में देरी के चलते देश का अन्नदाता दोहरी मार झेल रहा हैं.

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