सागर। एक तरफ सरकार किसानों को परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है. दूसरी तरफ किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाने में नाकाम नजर आ रही है. सरकार ने बुंदेलखंड में किसानों को प्याज और लहसुन की खेती करने के लिए काफी प्रचार प्रसार किया. जब किसान परंपरागत खेती छोड़ लहसुन और प्याज की खेती करने लगा, तो उसे उसकी फसल आधी लागत भी हासिल नहीं हो रही है. परेशान किसान अब लहसुन और प्याज की खेती करने से तौबा कर रहा है. रहली विकासखंड के संदई गांव के एक किसान का ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ है. जिसमें वह कान पकड़कर उठक-बैठक लगाकर कह रहा है कि अब वह लहसुन और प्याज की खेती नहीं करेगा. (garlic farming in sagar)
क्या है वायरल वीडियो का सचःप्याज और लहसुन की खेती से तौबा करते हुए कान पकड़ उठक बैठक लगाते हुए जिस किसान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. किसान रहली विकासखंड के संदई गांव के राधेश्याम मुद्गल हैं. राधेश्याम मुद्गल ने करीब 3 एकड़ में लहसुन की खेती की थी. प्रति एकड़ उनकी करीब 20 क्विंटल फसल हुई है, लेकिन जब वह लहसुन बेचने बाजार पहुंचे. उन्हें हजार रुपए भाव भी नहीं मिल रहा है. ऐसी स्थिति में उनकी प्रति एकड़ 50 हजार की लागत भी नहीं निकल रही है. (garlic price in sagar)
ठगा गया बुंदेलखंड का किसानःदरअसल पहले बुंदेलखंड में कुछ ही किसान लहसुन और प्याज की खेती किया करते थे. सरकार द्वारा परंपरागत खेती छोड़कर उद्यानिकी और नगदी फसलों की तरफ आकर्षित करने के कारण किसानों ने लहसुन और प्याज की खेती बड़े पैमाने पर शुरू कर दी. किसानों का कहना है कि लहसुन और प्याज की खेती में प्रति एकड़ के हिसाब से 50 हजार रुपए तक की लागत आती है. प्रति एकड़ करीब 20 क्विंटल का उत्पादन होता है. मौजूदा स्थिति में लहसुन के भाव हजार रुपए क्विंटल किसान को हासिल हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में किसान की लागत आधी भी नहीं निकल रही है. ऐसा ही हाल प्याज का है. बड़े पैमाने पर प्याज का उत्पादन होने के कारण किसानों को प्याज के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं. (sagar farmer on garlic)