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खाद्य तेल ने निकाला आम आदमी का तेल, विकल्प बनेगा अलसी, सागर के अनुसंधान केंद्र में ये है तैयारी - सागर में इकलौता अलसी अनुसंधान केंद्र

तेजी से बढ़ रही खाद्य तेल की कीमतों ने आम आदमी को परेशान कर दिया है. इन हालातों में खाद्य तेल के अन्य विकल्पों पर गौर किया जाने लगा है. मौजूदा स्थिति में खाद्य तेल के मामले में हम दुनिया के दूसरे देशों पर निर्भर हैं. इन परिस्थितियों में सरकार खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर होने के लिए प्रयास कर रही है और अलसी (linseed) का तेल एक विकल्प के रूप में सामने आया है. सागर के कृषि अनुसंधान केंद्र में रिसर्च चल रही है कि कैसे अलसी को खाद्य तेल के रूप में विकसित किया जाए. ( Alsi will be alternate of Edible oil)

Alsi will be alternate of Edible oil
खाद्य तेल का विकल्प बनेगी अलसी

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Published : Apr 5, 2022, 6:48 PM IST

सागर।अलसी औषधीय गुणों से भरपूर है. लोग अलसी को भूनकर या पीसकर तरह-तरह से उपयोग करते हैं. अलसी का तेल भी निकाला जाता है, लेकिन इस तेल का उपयोग खाद्य तेल के रूप में नहीं किया जाता है. क्योंकि अलसी को पीसकर या तेल बनाकर जब खुले में छोड़ा जाता है तो ऑक्सीडेशन के कारण इसके तेल में कसैलापन आ जाता है और वह खाने योग्य नहीं रहता. इसकी वजह अलसी में पाया जाने वाला omega-3 है. हालांकि omega-3 कई औषधीय गुणों से भरपूर है और मानव स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है. लेकिन इसी omega-3 के कारण अलसी के तेल का उपयोग खाद्य तेल के रूप में नहीं किया जा सकता है.

सागर में इकलौता अलसी अनुसंधान केंद्र :मध्यप्रदेश में सागर में स्थित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र प्रदेश का इकलौता केंद्र है, जहां पर अलसी की फसल पर अनुसंधान होता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा संचालित अखिल भारतीय समन्वित अलसी अनुसंधान परियोजना जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र सागर में 1987 से संचालित है. इस परियोजना के अंतर्गत फसल सुधार के साथ-साथ फसल के स्वास्थ्य प्रबंधन के प्रयोग संचालित किए जाते हैं. इसके अलावा तकनीक का विकास और नई प्रजातियों का विकास भी किया जाता है. अब तक इस केंद्र के माध्यम से 9 से ज्यादा प्रजातियां विकसित की जा चुकी हैं, जो मध्यप्रदेश सहित अन्य प्रदेशों में भी लोकप्रिय हैं.

खाद्य तेल का विकल्प बनेगी अलसी

क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक : सागर के अलसी अनुसंधान परियोजना के वैज्ञानिक डॉ. डीके प्यासी कहते हैं कि वर्तमान में मानव स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है. इसी कड़ी में अलसी एक प्रभावी औषधि के रूप में स्थापित हुई है. क्योंकि जोड़ों से संबंधित बीमारियां, कैंसर पर काबू पाने और विभिन्न प्रकार की बीमारियां अलसी से नियंत्रित होती हैं. इसके अलावा भी अलसी में कई सारे औषधीय गुण हैं, जिसके कारण अलसी का प्रचलन बढ़ा है. अलसी की जो नई प्रजातियां विकसित की गई हैं, उनमें ओमेगा-3 ज्यादा होता है. यही ओमेगा 3 हमें रोज के कामकाज के लिए जरूरी ऊर्जा प्रदान करता है. दूसरी तरफ इसी ओमेगा 3 के कारण अलसी के तेल में कसैलापन आ जाता है. क्योंकि ज्यादा omega-3वाली अलसी की प्रजाति को जब हम कूट कर या पीसकर तेल बना कर रखते हैं और जब हम उपयोग करने के लिए इसको खोलते हैं, तो ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही ऑक्सीडेशन की क्रिया के कारण तेल में कसैलापन आ जाता है और इसका उपयोग हम खाद्य तेल के रूप में नहीं कर सकते.

सागर के अलसी अनुसंधान परियोजना के वैज्ञानिक डॉ. डीके प्यासी

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विकसित की जा रही हैं कम ओमेगा-3 वाली अलसी की किस्में : कृषि वैज्ञानिक डीके प्यासी ने बताया कि अलसी का खाद्य तेल के रूप में उपयोग करने के लिए भारत सरकार के निर्देश पर कम omega-3 वाली प्रजातियों का विकास किया जा रहा है. इसी कड़ी में TL-99 प्रजाति विकसित की गई है. जिसकी विशेषता ये है कि इसके तेल को लंबे समय तक रखा जा सकता है और इसका उपयोग सब्जियों में और सामान्य खाद्य तेल की तरह किया जा सकता है. आगे चलकर हम अलसी के तेल को भी खाद्य तेल में मिलाकर उपयोग कर सकेंगे. भारत सरकार ने इसकी अनुमति दे दी है. इससे किसानों को फायदा होगा और किसान अलसी का उत्पादन करेंगे और खाद्य तेल के मामले में हम आत्मनिर्भर बनेंगे. ( Alsi will be alternate of Edible oil)

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