सागर। बीते दिनों विवाह प्रोत्साहन राशि न मिलने से परेशान एक नेत्रहीन दंपति ने आत्मदाह करने का प्रयास किया था. हालांकि कलेक्ट्रेट परिसर में मौजूद गार्ड सहित अन्य लोगों ने उन्हें बचा लिया था. ईटीवी भारत ने मामले को प्रमुखता से उठाते हुए अपर कलेक्टर से लेकर निगम उपायुक्त तक पीड़ित दंपति की बात पहुंचाई और खबर को प्रमुखता से दिखाया. जिसके बाद आखिरकार जो काम सात महीनों में नहीं हुआ. वह महज एक हफ्ते में हो गया और दिव्यांगना दंपति को एक लाख रुपए प्रोत्साहन राशि मिल गई.
पांच दिनों में दिव्यांग को विवाह प्रोत्साहन राशि मामला बीते 31 अगस्त का है. जब एक दंपति ने कलेक्ट्रेट परिसर में खुद पर मिट्टी का तेल डालकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था. नेत्रहीन भागीरथ अहिरवार ने करीब 1 साल पहले गीता से विवाह किया था.
गीता पूरी तरह से नेत्रहीन हैं. विवाह के तत्कालीन सागर कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक ने उन्हें दिव्यांग विवाह प्रोत्साहन राशि के तहत एक लाख दिलवाने का आश्वासन दिया था. तमाम कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद भी भागीरथ प्रोत्साहन राशि के लिए कभी कलेक्टर कार्यालय, तो कभी निगम कार्यालय के चक्कर काटता रहा और 7 महीने बाद अचानक नगर निगम में उसे दस्तावेज गुम हो जाने की बात कही. जिससे आहत होकर भागीरथ अपनी पत्नी के साथ कलेक्टर परिसर के बाहर आत्मदाह करने पहुंच गया.
मामले के बाद अपर कलेक्टर ने तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए. जिसके बाद सिर्फ पांच दिनों में न सिर्फ दंपति की कागजी कार्रवाई पूरी हो गई. बल्कि उन्हे एक लाख रूपए की प्रोत्साहन राशि भी मिल गई.
मामले में सवाल यह उठता है कि अगर मीडिया के हस्तक्षेप के बाद जो काम 5 दिनों में हो सकता है, उसके लिए एक लाचार दंपति को बेवजह महीनों क्यों परेशान किया गया. जाहिर तौर पर यह घटना सिस्टम की लापरवाही को उजागर करने के लिए काफी है.