सागर।विख्यात कानूनविद,शिक्षाविद और सागर विश्वविद्यालय (Sagar University) के संस्थापक डॉ हरिसिंह गौर (Dr. Hari Singh Gaur) को भारत रत्न (Bharat Ratna) देने की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ा है. डॉ हरीसिंह गौर की 152 वीं जयंती पर आयोजित 6 दिवसीय गौर उत्सव पर इस मांग को फिर हवा मिली है. बता दें कि देश की आजादी के पहले पिछड़ेपन का शिकार बुंदेलखंड इलाके में अपनी जमा पूंजी से विश्वविद्यालय स्थापित कर, जन्म भूमि का कर्ज चुकाने वाले डॉ हरिसिंह गौर को भारत रत्न देने की मांग लंबे समय से चल रही है. इसके लिए विश्वविद्यालय कार्य परिषद प्रस्ताव पास करके सरकार को भेज चुकी है. वहीं विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का संगठन इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाने पर भी विचार कर रहा है.
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जीवन भर की कमाई दान कर सागर में की थी विश्वविद्यालय की स्थापना
सागर में एक गरीब परिवार में जन्मे डॉ हरिसिंह गौर (Dr. Hari Singh Gaur) ने ना सिर्फ वकालत के क्षेत्र में दुनिया भर में नाम कमाया. बल्कि शिक्षा वर्ग से जुड़े होकर भी उनकी ख्याति पूरे देश में फैली. दुनिया भर में उनकी वकालत की ख्याति को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें सर की उपाधि दी थी. डॉ हरीसिंह गौर साइमन कमीशन के सदस्य थे, तो संविधान सभा के उपसभापति भी थे. इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति थे, तो नागपुर विश्वविद्यालय के भी कुलपति रहे. उन्होंने अपनी मातृभूमि सागर का कर्ज चुकाने के लिए अपने जीवन की जमा पूंजी दान करके 1946 में सागर में विश्वविद्यालय (Sagar University) की स्थापना की थी. उन्होंने अपनी वसीयत में विश्वविद्यालय के लिए दो करोड़ रुपए भी दान किए थे.
मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न (Bharat Ratna) दिए जाने के बाद उठी मांग
वैसे तो समय-समय पर डॉ हरिसिंह गौर (Dr. Hari Singh Gaur) को भारत रत्न दिए जाने की मांग उठती रही है. लेकिन 2014 में इस मांग ने तब जोर पकड़ा, जब भारत सरकार द्वारा काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न दिया गया. स्थानीय लोगों और विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का कहना है कि डॉ हरिसिंह गौर भी भारत रत्न के हकदार हैं,उन्होंने सागर विश्वविद्यालय (Sagar University) स्थापित करने के लिए डॉ हरिसिंह गौर अपने जीवन की पूरी कमाई दान कर दी थी.
विश्वविद्यालय कार्य परिषद भेज चुका है प्रस्ताव
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के वर्तमान अध्यक्ष डीपी सिंह जब सागर विश्वविद्यालय के कुलपति थे, तो उनके प्रयासों से सागर विश्वविद्यालय कार्यपरिषद द्वारा डॉ हरिसिंह गौर को भारत रत्न दिए जाने का प्रस्ताव पारित कर राज्य और केंद्र सरकार को भेजा गया था. तब सागर विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं था और मध्य प्रदेश सरकार का विश्वविद्यालय था. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर नागरिक संगठनों और छात्र संगठनों द्वारा समय-समय पर आंदोलन भी किए गए हैं.
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