दमोह। बघेलखंड के सीधी में आदिवासी युवक पर भाजपा विधायक के प्रतिनिधि द्वारा पेशाब करने के मामले में भाजपा की पूरी देश में किरकिरी हो रही है. उसी तरह बुंदेलखंड के दमोह एक दलित युवक विक्रम उर्फ विक्की रोहित की खुदकुशी के मामले में भाजपा की परेशानी बढ़ गयी हैं. इस मामले में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की भूमिका पर सवाल खडे़ हो रहे हैं और प्रहलाद पटेल की प्रतिक्रिया के बाद भाजपा के लिए मुसीबत और भी ज्यादा बढ़ गयी है. हालांकि केंद्रीय मंत्री की सार्वजनिक नाराजगी के बाद गृहमंत्री ने भले ही सीआईडी जांच के आदेश दे दिए हों, लेकिन कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पार्टी स्तर पर एक कमेटी गठित की है, जो दमोह पहुंचकर पीड़ित परिवार से मिलेगी. ये कमेटी कमलनाथ को रिपोर्ट सौंपेगी और कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस रणनीति तैयार करेगी. फिलहाल केंद्रीय मंत्री की भूमिका पर उठ रहे सवालों पर कांग्रेस काफी आक्रमक है.
राशन दुकान में की आत्महत्या: दरअसल 22 जून को राशन दुकान का सैल्समेन विक्रम रोहित उर्फ विक्की रोहित अपनी राशन दुकान पर मृत मिला था. मृतक विक्रम उर्फ विक्की दमोह के बजरिया वार्ड 3 में सद्भावना उपभोक्ता भंडार पर मृत मिला था जहां से एक सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें चार लोगों को खुदकुशी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था और सुसाइड नोट को आधार मानते हुए चारों के खिलाफ आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज किया गया था. दमोह सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल दमोह पहुंचे, तो आरोपी यशपाल ठाकुर के समर्थन में धर्मपुरा वार्ड के लोगों ने मुलाकात की और घटनाक्रम के बारे में बताया. इस बात पर मंत्री इतना बिफर गए कि उन्होंने पुलिस पर जल्दबाजी में बिना जांच किए मामला दर्ज करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मैं पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट हूं और न्याय मिलने तक मैं दमोह पुलिस की सेवाएं नहीं लूंगा. मंत्री के बयान के बाद शिवराज सरकार बैकफुट पर आ गयी और मामले की सीआईडी जांच के आदेश दे दिए हैं. दूसरी तरफ मंगलवार को दलित समाज के लोग मंत्री के खिलाफ खडे़ हो गए और जमकर प्रदर्शन करते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अस्पताल चौराहे पर धरना दिया. इस दौरान प्रहलाद पटेल के खिलाफ जमकर नारेबााजी हुई.
मंत्री प्रहलाद पटेल की भूमिका पर सवाल:जिस तरह से इस घटनाक्रम को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने तेवर दिखाए हैं. उसको लेकर मंत्री की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं क्योकिं सुसाइड नोट में मंत्री के नाम का भी उल्लेख है. विपक्ष एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के पुलिस पर दबाब बनाने के तरीके और मध्यप्रदेश सरकार के दबाब में आने को लेकर मुद्दा बना रही है और मंत्री की नाराजगी के बाद मामले की जांच सीआईडी को सौंपे जाने को असंवैधानिक और गैरकानूनी बता रही है.