सागर। बीड़ी व्यावसाय पर लगातार संकट के बादल मंडरा रहे हैं. पहले कोटपा कानून (सिगरेट एंड अदर टोबेको प्रोडक्ट एक्ट) और फिर बीड़ी व्यावसाय पर करारोपण के लिए बनाई गई. कमेटी में बीड़ी व्यवसाय से जुड़े लोगों को स्थान न दिए जाने से निराशा का माहौल है. दरअसल केंद्र सरकार ने बीड़ी पर जीएसटी और अन्य टेक्स पर विचार-विमर्श के लिए विशेषज्ञों की समिति का गठन किया.
इस समिति में बीड़ी व्यवसाय से जुड़े उद्योगपतियों, व्यवसायियों और कारीगरों को शामिल नहीं किया गया है. ऐसी परिस्थिति में निराशा का माहौल निर्मित हो गया. इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का मानना है कि व्यवसाय की मौजूदा परिस्थितियों को समझने वाले लोगों को समिति में स्थान ना मिलने से व्यवसाय के साथ न्याय नहीं हो पाएगा.
केंद्र सरकार ने गठित की समिति
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 12 अक्टूबर 2021 को तंबाकू उत्पादों पर जीएसटी और अन्य करों पर विचार विमर्श के लिए विशेषज्ञों की समिति का गठन किया. इस समिति में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन, नीति आयोग, जीएसटी और केंद्रीय मंत्रालय के अलावा स्वास्थ्य अर्थशास्त्री डॉ. रिजो एम जॉन को शामिल किया गया है.
हैरत की बात है कि इस समिति में बीड़ी कारीगरों या तंबाकू उत्पाद के निर्माताओं को स्थान नहीं दिया गया. इन परिस्थितियों में प्रतीत हो रहा है कि तंबाकू से जुड़ा यह व्यवसाय अंत की ओर जा रहा है. बीड़ी व्यावसाय से जुड़े लोगों को चिंता है कि उन्हें स्थान ना मिलने पर समिति में उनके हितों की अनदेखी होगी. उनकी समस्याओं पर भी विचार विमर्श नहीं होगा.
कर को पहले जैसा रखें सरकार- बीड़ी उद्योग संघ
मध्य प्रदेश बीड़ी उद्योग संघ के अनिरुद्ध पिंपलापुरे का कहना है कि बीड़ी एक प्राकृतिक, श्रम आधारित, असंगठित, ग्रामीण कुटीर उद्योग है. जिसका कार्बन उत्सर्जन बहुत कम है. इसके उत्पाद प्राकृतिक वस्तुओं से बनते हैं और फेंकने पर प्रकृति में विलीन हो जाते हैं. यह व्यवसाय सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पादों और उद्योगों से अलग है. तंबाकू उत्पाद की कर संबंधी समिति को बीड़ी पर कर बढ़ाने की अपेक्षा कर की वर्तमान दरों को जस का तस रखते हुए कर की चोरी रोकने पर ध्यान रखना चाहिए.
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कर बढ़ाने से इमानदार व्यापारियों की होगी फजीहत
अनिरुद्ध पिंपलापुरे ने बताया कि बीड़ी जंगलों में चोरी के पत्ते, सस्ती या चुराई हुई तंबाकू से बिना बिजली या पानी के आसानी से निर्मित हो जाती है. इस तरह की परिस्थितियों में कर चोर और नक्काल इस बीड़ी को अवैध रूप से बेचने का धंधा करेंगे. मौजूदा परिस्थिति में भी ऐसे लोग कर बचा ले जाते हैं. वर्तमान स्थिति ये है कि कर अदा करने वाले नियमबद्ध निर्माता बाजार में इन कर चोरों और नक्कालों से मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं.
ऐसी स्थिति में जीएसटी, सेस या एक्साइज ड्यूटी बढ़ाए जाने से कर चोरों की चांदी हो जाएगी. नियमानुसार कर अदा करने वाले निर्माताओं को अपना धंधा बंद करना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में सरकार को भी फायदा नहीं होगा, क्योंकि सरकार का राजस्व संग्रहण घट जाएगा. इसलिए सरकार को बीड़ी या संबंधित वस्तुओं पर कर की दरें बढ़ाने की अपेक्षा पंजीकृत निर्माताओं को पंजीकृत कर कर भरवाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए.