सागर।बाल विवाह और नाबालिगों की शादी रोकने के लिए सरकार ने कड़े कानून बनाए हैं, लेकिन बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र में गरीबी और पिछड़ेपन के कारण ऐसी कुरीतियों पर लागम नहीं लग पा रही है. आलम यह है कि पिछले साल शादी के सीजन में ही बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर जिले में 120 ऐसे मामले सामने आए थे. इसमें खास बात ये है कि कोरोना लॉकडाउन में भी बाल विवाह पर अंकुश नहीं लगा लेकिन बाल विवाह रोकने वाले अमले ने लॉकडाउन के दौरान 25 शादियां रुकवाई थी. यह तो वह मामले हैं जो पुलिस और प्रशासन को पता चल रहे हैं. लेकिन इन आंकड़ों से साफ होता है कि चोरी छुपे ऐसी कितनी शादियों को अंजाम दिया जाता होगा. एक बार फिर शादी का सीजन आ गया है और बुंदेलखंड में बाल विवाह और नाबालिगों की शादी पर अंकुश लग सके. इसके लिए पुलिस और प्रशासन कमर कस रहा है.
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शादी रोकने के लिए कलेक्टर के पास पहुंची नाबालिग लड़की
बुंदेलखंड में बाल और नाबालिगों की शादी के हालात समझने के लिए इतना ही काफी है कि 19 जनवरी को सागर के बाघराज वार्ड इलाके में रहने वाली 12वीं कक्षा की नाबालिग छात्रा सीधे कलेक्टर के पास पहुंच गई. कलेक्टर ने जब उससे बात की, तो पता कि वह अभी 12वीं पड़ रही है और उसके माता-पिता ने उसकी सगाई कर दी है. लेकिन वह शादी नहीं करना चाहती है. जबकि माता-पिता जिद पर अड़े हैं. कलेक्टर ने नाबालिग की फरियादी सुनने के बाद तुरंत विशेष इकाई को अपने ही दफ्तर बुलाकर लड़की की काउंसलिंग कराई. लेकिन लड़की अपने घर वापस जाने तैयार नहीं हुई. जिसके बाद नाबालिग को विशेष इकाई को सौंपकर उसे आश्रम में रहकर पढ़ने के लिए कहा गया है.
क्या वजह मानते हैं जानकार
स्पेशल सेल की प्रभारी ज्योति तिवारी बताती हैं कि सागर जिले में ही में पिछले 2 साल में 300 से ज्यादा बाल विवाह रोके हैं. जब भी मैं किसी भी सूचना पर बाल विवाह रोकने जाती हूं और लोगों से बातचीत करती हूं तो कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आती हैं. जागरूकता के अभाव में लोगों को पता ही नहीं है कि बच्चों की शादी की उम्र क्या होती है. हालांकि जानकारी देने पर कुछ लोग समझ जाते हैं, लेकिन कुछ लोग सवाल खड़े करते हैं कि हमारी 15- 16 साल की बच्ची है,कहीं भाग गई या इसके साथ कोई घटना घट गई, तो जिम्मेदार कौन होगा. गरीब और मजदूर वर्ग के लोग बाहर जाकर काम करते हैं. उन्हें चिंता सताती है कि उनकी बेटी घर पर अकेली है, उसके साथ कोई हादसा ना हो जाए. इसकी चिंता में वो जल्दी से जल्दी शादी करना चाहते हैं, ताकि जिम्मेदारी से मुक्ति मिल जाए.
खासकर बेटियों को स्कूल न भेजने के कारण उन्हें भी पता नहीं होता है कि उन्हें किस उम्र में शादी करना चाहिए और उनके क्या-क्या अधिकार हैं. लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं है कि लड़की की शादी की उम्र 18 साल है, तो लड़के की शादी की उम्र 21 साल है. कई लोग लड़के की शादी की उम्र भी 18 साल मानकर उसकी शादी कर देते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि लोगों को यह नहीं मालूम है कि बाल विवाह या नाबालिक का विवाह अपराध है, इसकी सजा क्या है और कैसा कानून है.