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नवजातों के लिए कब्रगाह बना सागर मेडिकल कॉलेज, तीन महीने में 92 बच्चों की मौत - सागर विधायक शेलेन्द्र जैन

सागर मेडिकल कॉलेज में नवजातों की मौत का सनसनीखेज आकंड़ा सामने आया है. जहां सागर मेडिकल कॉलेज (Sagar Medical College) के SNCU और PICU वार्ड में पिछले तीन महीनें में भर्ती नवजातों की इलाज के दौरान मौत हो गई. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में शिशु मृत्यु दर सितंबर में 28 प्रतिशत, अक्टूबर में 28 प्रतिशत और नवंबर में बढ़कर 32 प्रतिशत हो गई है, जो संभवत मध्यप्रदेश में सर्वाधिक शिशु मृत्यु दर होगी.

Newborn deaths in Sagar district
सागर जिले में नवजात बच्चों की मौत

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Published : Dec 6, 2020, 6:25 PM IST

सागर । मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में बच्चों की मौत के मामले की जांच अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि अब सागर मेडिकल कॉलेज (Sagar Medical College) में नवजातों की मौत का सनसनीखेज आकंड़ा सामने आया है. जहां सागर मेडिकल कॉलेज के SNCU और PICU वार्ड में पिछले तीन महीनें में भर्ती नवजातों की इलाज के दौरान मौत हो गई. बच्चों की मृत्यु दर सामान्य से दोगुनी यानी 32 प्रतिशत पहुंच गई है. सिर्फ नवंबर माह में 37 नवजातों की मौत हो हुई है. वहीं अक्टूबर में 32 और सितंबर में 23 नवजातों की जान गई है.

सागर मेडिकल कॉलेज में नवजात बच्चों की मौत

बच्चों की मौत से मचा हंडकंप

नवजातों की मौत के मामले में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को कटघरे में खड़ा कर दिया है. बेहतर सुविधा का दावा करने वाली चिकिसत्सीय सेवाओं पर सवालिया निशान लग रहे हैं. बीते तीन माह मे यहां भर्ती बच्चों की मौत होने की जानकारी वायरल होने के बाद खलबली मची हुई है. जहां इस मामले में मेडीकल कॉलेज प्रशासन अब बचाव की मुद्रा मे नजर आ रहा और मौत के कारणों को लेकर अपना ही राग अलाप रहा है.

तीन महीने में 92 बच्चों की मौत

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मेडिकल प्रबंधन नें ये बताई मौत की वजह

इस सनसनीखेज मामले में बुंदेलखंड मेडिकल कालेज प्रबंधन के डीन डां आर एस वर्मा ने भी मौत की संख्या में इजाफे की बात स्वीकार की है. हालांकी वह इसके लिए मेडीकल कॉलेज प्रंबधन का बचाव कर उल्टा परिजनों को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. प्रभारी डीन का कहना है कि कि स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) वार्ड अप्रैल से शुरू हुआ है. ये भी एक कारण है दूसरा परिजनों ने देरी से बच्चों के इलाज के लिए यहां भर्ती कराया है. जिस वजह से बच्चों को नहीं बचा सके. दूसरा सागर मेडिकल कॉलेज में चिकित्सीय अमले की कमी की भी वजह बताई हैं.

सागर मेडिकल कॉलेज

बच्चों की मौत के मामले में जांच की मांग

वहीं बच्चों की मौत के मामले में सागर विधायक शेलेन्द्र जैन ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि भले ही शिवराज सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे करती हो लेकिन बच्चों की मौत से उन दावों की पोल खुल गई है. लगातार हो रही बच्चों की मौत के मामले में जांच की मांग की है. इस मामले में कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि बच्चों की मृत्यु दर में इफाजा निंदनीय है. इस बारे में डीन प्रभारी से भी चर्चा की जाएगी.

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बद से बदतर हो रहे हालात
प्रदेश सरकार में सागर जिले से हमेशा कद्दावर मंत्री को जगह मिली है. यही वजह है कि सूबे की सियासत में सागर का अच्छा खासा दखल माना जाता है. लेकिन मेडिकल कॉलेज होने के बाद भी यहां स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर हालात बद से बदतर हैं.

सांकेतिक तस्वीर

बीएमसी के डॉक्टर कोरोना ड्यूटी में व्यस्त

जानकारी के मुताबिक, कोविड 19 (Covid 19) के बढ़ते संक्रमण के चलते अस्पताल प्रबंधन का सारा ध्यान कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज पर होता है. अन्य मरीजों के मामलों में चिकित्सकीय अमला कोताही बरत रहा है. शायद यही कारण है कि अस्पताल (Bundelkhand Medical College Sagar) में बच्चों की मौत के आंकड़े तेजी से बढ़े हैं. बहरहाल, नवजातों की मौतों के आंकड़ों से अस्पताल प्रबंधन के साथ जिले के स्वास्थ्य अमले में खलबली मची हुई है. बीएमसी से निकले यह आंकड़े साफ जाहिर कर रहे की कैसे सागर मेडीकल अस्पताल में मौत का तांडव चल रहा है. जिस पर लगाम लगाने की कवायद पर जिम्मेदार मौन बने तमाशा देख रहे है. देखना यह होगा कि शासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है.

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