आनंद राय ने एमपी के सीएम पर साधा निशाना सागर। व्यापमं घोटाले के व्हिसलब्लोअर और जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन) के नेता डॉ. आनंद राय को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद शनिवार को सागर केंद्रीय जेल से रिहा हो गए. डॉ आनंद राय पर सांसद जे एस डामोर एवं अन्य अधिकारियों पर हमले का आरोप था, उन्हें रतलाम जेल से सागर केंद्रीय जेल शिफ्ट किया गया था, जहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी उनसे मुलाकात की थी. जेल से रिहा होने के बाद डॉ. आनंद राय ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर जमकर हमला बोला और कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आदिवासी विरोधी हैं और आदिवासियों पर जुल्म कर रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि "क्या मैं देशद्रोही हूं, जो मुझे जेल के अंदर यातनाएं दी गई और गुनाहखाने में रखा गया. सीएम दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग पर अत्याचार कर रहे हैं और 2023 के चुनाव में भाजपा की करारी हार होगी."
सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत:व्यापमं व्हिसलब्लोअर आनंद राय रतलाम में दर्ज मामले में पिछले 60 दिनों से जेल में सजा काट रहे थे, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने डॉ आनंद राय को जमानत दी है. उन पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत मामला दर्ज किया गया था, रतलाम-झाबुआ सांसद गुमानसिंह डामोर के वाहन पर हमले से जुड़ा है. इस मामले में डॉ. आनंद राय 15 नवंबर से जेल में थे, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाय चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली बैंच ने ट्रायल कोर्ट की नियम-शर्तों के आधार पर जमानत दी है. जबलपुर हाईकोर्ट ने आनंद राय की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. आनंद राय की तरफ से पैरवी वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने की थी.
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रतलाम में दर्ज हुआ था मामला:रतलाम जिले के बिलपांक में विकास पारगी ने आईपीसी की धारा 294, 341, 353, 332, 146, 147, 336, 506 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1) (डी), 3(1) (एस) और 3(2) (ए) के तहत शिकायत दर्ज कराई थी, इस पर 15 नवंबर 2022 को एफआईआर हुई थी. आरोप है कि विकास बिरसा मुंडा जयंती समारोह से लौटते समय सांसद डामोर, विधायक और कलेक्टर के काफिले में पीछे थे, उन्हें जयस संगठन के कुछ कार्यकर्ताओं ने रोका और पथराव किया. इस वजह से कलेक्टर के गनमैन को चोटें आई थी, शिकायत में आनंद राय समेत 40-50 हमलावरों का नाम दर्ज था.
रिहा होने के बाद क्या कहा डॉक्टर आनंद राय:केंद्रीय जेल सागर से रिहा हुए डॉ. आनंद राय ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि,"शिवराज सिंह आदिवासी विरोधी हैं और आदिवासियों पर जुल्म कर रहे हैं. यह मामला बिरसा मुंडा जयंती के दिन के मामला है, हम लोगों ने 2 लाख रुपए चंदा करके मूर्ति की स्थापना की थी. रतलाम में 16 सौ हेक्टेयर आदिवासियों की जमीन विशेष औद्योगिक क्षेत्र में जा रही है, मामले में हम सांसद और कलेक्टर से शांति पूर्वक चर्चा करना चाह रहे थे, लेकिन आदिवासियों में जनाधार खोते जा रहे शिवराज सिंह ने बौखला कर हम लोगों पर झूठा केस दर्ज कराया. क्या एट्रोसिटी एक्ट इसलिए बना है कि उसका दुरुपयोग हरिजन और आदिवासियों पर किया जाए. इस मामले में 19 में से 18 लोग एससी और एसटी वर्ग से आते हैं, एट्रोसिटी एक्ट, एससी और एसटी वर्ग के लोगों पर दर्ज किया जा सकता है. यह केस हम लोगों पर सिर्फ इसलिए लगाया गया कि जमानत में अवरोध हो, जमानत पर आपत्ति के लिए जनता के टैक्स का एक करोड़ रुपया खर्चा गया. मेरे सामने सॉलिसिटर जनरल को खड़ा किया गया, क्या मैं देश का प्रदेश का शत्रु हूं, मेरा गुनाह क्या है, इसके पहले जब मैंने गोविंद सिंह राजपूत के काले से पेपर लीक होने के मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी, तो मेरे ऊपर केस दर्ज कराया गया था. अभी भी हम लोगों की गलती नहीं थी, यह जिस तरह से आदिवासियों का विरोध कर रहे हैं, इस प्रदेश का युवा आदिवासी, दलित और पिछड़ा वर्ग 2023 के चुनाव में सबक सिखाएगा."
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गुनाहखाने में रखा गया:डॉ आनंद राय (Vyapam Whistleblower Anand Rai) ने बताया कि,"मुझे 6×6 की गुनाहखाने में रखा गया था, क्या मैं देशद्रोही हूं. जिन लोगों को ब्रिटिश काल में काले पानी की सजा मिलती थी, उन्हें गुनाह खाने में रखा जाता था. हम कालकोठरी से छूटकर आ रहे हैं, इतनी कठिन सजा और यातना के बावजूद हम कुछ नहीं बोल रहे. हम लोग ईमानदार लोग हैं और जनता की लड़ाई लड़ते हैं, हम नहीं डरने वाले हैं. मैंने व्यापम घोटाला उजागर किया था, मैं 12 साल से शिवराज सिंह से लड़ाई लड़ रहा हूं. मैं आपसे वादा करता हूं कि भाजपा नगर शिवराज सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा, तो 230 में से 70 सीट भी नहीं मिलेंगी."
बिना नियम के जेल ट्रांसफर किया गया:डॉ आनंद राय ने आरोप लगाया कि, "हमें बिना नियम के जेल ट्रांसफर किया गया. जेल ट्रांसफर या तो प्रशासनिक आधार पर होता है या स्वैच्छिक आधार पर होता है, लेकिन हम 5 लोगों को अलग-अलग जेल में भेजा गया. हमें दुर्दांत अपराधियों के साथ रखा गया, आज मेरे कपिल सिब्बल और विवेक तंखा से संबंध है, तो सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी. आप सुनवाई की रिकॉर्डिंग सुनिए जज ने साफ बोला है कि तुम्हारे पास कोई सबूत नहीं है, 60 दिन तक जेल में क्यों रखा. इन्होंने मेरी रिहाई रोकने के लिए रतलाम जेल से रिलीज ऑर्डर जारी करने में भी दिक्कत की, जिस तरह से कर रहे हैं, हम डरने वाले नहीं हैं. हमारे अंदर क्रांतिकारियों का खून हैं और हम लड़ेंगे."