सागर।कोविड-19 का पूरे दुनिया में कहर के चलते भारत में भी लॉकडाउन की घोषणा की गई, और इसका सबसे बुरा असर मजदूरों पर पड़ा, जो प्रतिदिन कमाकर अपना और अपने परिवार का पेट पालते थे. दूर दराज काम कर रहे मजदूर लॉकडाउन के चलते अपने गांव के लिए पलायन करने लगे, और गांव में पहुंचे इन मजदूरों को सबसे बड़ा संकट रोजगार का हुआ, जिसको लेकर प्रदेश सरकार ने कई तरह के महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं.
मनरेगा के तहत 50 हजार मजदूरों को मिला रोजगार, 18 हजार प्रवासी मजदूर भी शामिल - 50 thousand laborers got employment
सागर जिले में मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मुहैया कराया जा रहा है, और अपने ही गांव में मनरेगा के तहत रोजगार पाकर ग्रामीण भी काफी खुश हैं.
![मनरेगा के तहत 50 हजार मजदूरों को मिला रोजगार, 18 हजार प्रवासी मजदूर भी शामिल Laborers got employment](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-8036426-thumbnail-3x2-ab.jpg)
बता दें कि सागर जिले में मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मुहैया कराया जा रहा है, और अपने ही गांव में मनरेगा के तहत रोजगार पाकर ग्रामीण भी काफी खुश हैं, रोजी रोटी के लिए महाराष्ट्र पुणे दिल्ली नागपुर पीथमपुर जैसे महानगरों में रहने वाले इन मजदूरों का कहना है कि अपना पेट पालने के लिए मजबूरी में अन्य महानगरों में रहने को मजबूर थे लेकिन जब अपने ही गांव में रोजगार मिल रहा है और अगर इसी तरह साल भर रोजगार मिलता रहा तो वह अब लौट कर उन महानगरों में नहीं जाएंगे.
सागर जिला पंचायत के सीईओ इच्छित गढ़पाले बताते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार की मंशा के अनुसार लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए मनरेगा के तहत अब तक करीब 30 हजार से ज्यादा लोगों के जॉब कार्ड बनाए जा चुके हैं, जबकि 50 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया गया है, जिनमें से करीब 18 हजार से ज्यादा प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं.