सागर।बुंदेलखंड भले ही बदहाली और गरीबी के लिए जाना जाता है, लेकिन बुंदेलखंड की धरती अपने गर्भ में बड़े पैमाने पर हीरे जैसे रत्नों को छुपाए हुए हैं. बुंदेलखंड के पन्ना के बाद अब छतरपुर जिले के बक्सवाहा के जंगल में पन्ना से कई गुना ज्यादा हीरा मिलने की संभावना जागी है, इस परियोजना को बंदर प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है और जल्द ही यहां हीरों का खनन शुरू किया जाएगा. आदित्य बिरला ग्रुप की कंपनी एक्सेल माइनिंग कंपनी इसकी तैयारियों में जुट गई है. दरअसल अभी तक एनजीटी में लगी याचिका के कारण काम रुका हुआ था, लेकिन 28 फरवरी को एनजीटी द्वारा पेड़ काटे जाने के खिलाफ लगाई गई याचिका खारिज होने के बाद तमाम अड़चनें दूर हो गई हैं. खास बात ये है कि जिस इलाके में हीरा खनन किया जाना है, उस इलाके में करीब 4 लाख पेड़ काट दिए जाएंगे और इस इलाके में कई ऐसे पुरातात्विक और ऐतिहासिक अवशेष भी मौजूद हैं, जो बुंदेलखंड के इतिहास के साक्षी हैं उसको भी नुकसान होगा. एनजीटी द्वारा याचिका खारिज होने के बाद पर्यावरण प्रेमी और इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों में निराशा है.
छतरपुर के बक्सवाहा में हीरे की संभावना:पूरे देश में बुंदेलखंड में पन्ना ही एक ऐसा इलाका है, जहां पर हीरे की खदानें पाई जाती हैं. लेकिन पन्ना के पड़ोसी जिले छतरपुर के बक्सवाहा में भी हीरे की उम्मीद जगी है, इन संभावनाओं के मद्देनजर 2002 में आस्ट्रेलियन कंपनी रियो टिंटो को बक्सवाहा में हीरा खनन की जिम्मेदारी औपचारिक रूप से सौंपी गई थी. तमाम तैयारियों के बाद 2010 में ऑस्ट्रेलियन कंपनी ने सर्वे की शुरुआत की और इलाके में लेंप्राइट
स्टोन की मौजूदगी से तय हो गया कि काफी मात्रा में हीरा मिल सकता है. अनुमान के मुताबिक बक्सवाहा के जंगलों में 3.40 करोड़ कैरेट से ज्यादा हीरे का भंडार पाए जाने की संभावना है. कहा जा रहा है कि बक्सवाहा में पन्ना के मुकाबले 4-5 गुना ज्यादा हीरा मिलेगा, लेकिन पर्यावरण को बचाने और जंगल मे मौजूद ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की मांग को लेकर स्थानीय लोगों ने परियोजना का विरोध शुरू कर दिया. विरोध काफी लंबा चला और आस्ट्रेलियन कंपनी ने 2016 में परियोजना से तौबा कर ली, इसके बाद नए सिरे से 2019 में आदित्य बिरला ग्रुप की एक्सेल माइनिंग कंपनी को हीरा खनन के लिए अधिकृत किया गया है.
4 लाख पेड़ काटे जाने के खिलाफ लगी थी याचिका:बक्सवाहा में हीरा खनन के लिए हरी झंडी मिलते ही तय हो गया था कि इस इलाके में बड़े पैमाने पर जंगल काटे जाएंगे, जिससे पर्यावरण और जैव विविधता के लिए बड़े पैमाने पर नुकसान होगा. एक अनुमान के मुताबिक परियोजना के लिए इलाके के 4 लाख पेड़ काटे जाएंगे, इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों के कटने को लेकर पीजी पांडे ने एनजीटी में याचिका दायर की थी. याचिका को एनजीटी ने अपरिपक्व करार देते हुए 28 फरवरी को खारिज कर दिया, हालांकि याचिकाकर्ता ने पुनर्विचार याचिका लगाई है लेकिन संभावना है कि पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो जाएगी. दूसरी तरफ हीरा खनन के लिए एक्सेल माइनिंग कंपनी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं और सरकार द्वारा उसे साढ़े 3 सौ हेक्टेयर से ज्यादा हेक्टेयर का पट्टा भी आवंटित किया जा चुका है, जिसमें सबसे पहले पहला काम पेड़ों को काटने का किया जाएगा.