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युवा स्वाभिमान योजना के लाभार्थी हुए बेरोजगार, नौकरी के लिए पहुंचे कलेक्ट्रेट - नौकरी की मांग को लेकर युवा पहुंचे कलेक्ट्रेट

रीवा में युवा स्वाभिमान योजना में कार्य करने वाले कुछ लाभार्थी ने शिवराज सरकार से बेरोजगार दूर करने की गुहार लगायी है. युवाओं का कहना है कि प्रदेश भर में तकरीबन 400 युवाओं ने इस योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया था, लेकिन यह बेरोजगार हैं और कोरोना के इस संकट काल में आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं.

youngesters reached to rewa
कलेक्ट्रेट पहुंचे युवा

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Published : Aug 27, 2020, 2:49 AM IST

रीवा। युवा स्वाभिमान योजना में कार्य करने वाले कुछ लाभार्थी आज कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे. जहां पर उन्होंने नौकरी की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को पत्र सौंपा है. ज्ञापन देने पहुंचे लाभार्थियो की मांग है कि इस कोरोना काल में वह आर्थिक तंगी से गुजर रहे है और अब उन्हें नौकरी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. ऐसे में अपनी समस्याओं की मांग को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री से रोजगार पाने की गुहार लगाई है.

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद जैसे ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई वैसे ही बेरोजगारी का सबसे बड़ा मुद्दा उठ कर सामने आया. जिसके बाद बेरोजगारी को कम करने के लिए कांग्रेस सरकार ने युवा स्वाभिमान योजना लागू की और प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को लाभ पहुंचाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया. प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए वाले लाभार्थियों को रोजगार देने का वादा किया गया. लेकिन कुछ ही महीने के बाद उन्हें निकाल दिया गया. जिसके बाद से लगातार वह रोजगार की मांग को लेकर इधर-उधर भटकते रहे हैं.

2020 में जैसे ही प्रदेश में दोबारा भाजपा की सरकार बनी वैसे ही इन बेरोजगार युवाओं ने तमाम नेताओं और मंत्रियों तक को अपना आवेदन सौंपकर नौकरी की गुहार लगाई. लेकिन अब तक इनके समस्याओं का निदान नहीं हो सका और लगातार बेरोजगार युवा प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं.

युवा स्वाभिमान योजना से लाभ प्राप्त युवाओं ने बुधवार को रीवा में कलेक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने मांग रखी थी, युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने वाले बेरोजगार युवाओं को वर्तमान सरकार के द्वारा नौकरी दिलाई जाए. युवा स्वाभिमान योजना में लाभ प्राप्त लाभार्थियों ने बताया कि प्रदेश भर में तकरीबन 400 युवाओं ने इस योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया था, लेकिन यह बेरोजगार हैं और कोरोना के इस संकट काल में आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. जिसकी वजह से उन्हें नौकरी की तलाश है और सरकार से उनकी यही दरख्वास्त है कि उन्हें नौकरी दी जाए.

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