रीवा।मध्यप्रदेश के रीवा जिले में इन दिनों दिन रात भारी-भरकम मशीनें चलने की वजह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, और विकास की रेस में मानव जीवन के संकट का दौर कहीं न कहीं शुरू हो गया है. एक ओर जहां देशभर में पत्थर की बढ़ती मांगों के साथ स्टोन क्रेशर अधिक संख्या में संचालित हो रहे हैं. वहीं दूसरी ओर लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, कुछ ऐसी ही तस्वीरें मध्यप्रदेश के रीवा जिले से देखने को मिल रही हैं, जहां लोग बढ़ते प्रदूषण के चलते आए दिन जान जोखिम में डालकर संघर्ष कर रहे हैं.
डस्ट, बीमारी और मुसीबत
बढ़ती पत्थर और कंक्रीट की मांगों के चलते रीवा शहर से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर दो अलग-अलग क्षेत्र बेला और बांकुइया में स्टोन क्रेशर संचालित किए जा रहे हैं. जिसके चलते लोगों को आसानी से पत्थर और गिट्टी तो मिल रही हैं, लेकिन लोगों की इन सुविधाओं के चलते कई समस्याएं भी तैयार हो रही हैं. लोगों को इन समस्याओं से हर रोज कहा-सुनी का सामना करना पड़ रहा है, हालत ये हैं कि स्टोन तोड़ने के दौरान होने वाले ब्लास्ट से लोगों का अपने घरों में रहना मुश्किल हो रहा है.
जिले में खनन माफिया का आंतक
दरअसल माइंस और स्टोन क्रशर को संचालित करने के लिए कई प्रकार के मापदंड बनाए गए हैं, लेकिन उन नियमों को ताक पर रखकर शहरी क्षेत्रों में माइंस का काम किया जा रहा है. पत्थर निकालने के लिए खुदाई पर अलग-अलग नियम बनाया गया है, लेकिन खनन माफिया नियमों को दरकिनार करते हुए खुदाई करते जा रहे हैं.
खनन माफिया इस पूरे क्षेत्र में इस कदर हावी हैं की सड़कों के दोनों ही तरफ खाई नुमे गड्ढे बना दिए हैं, जिसकी वजह से ग्रामीणों का आवागवन भी प्रभावित हो रहा है. वहीं क्षेत्रों में संचालित सैकड़ों स्टोन क्रेशरों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण को लेकर किसी भी प्रकार के कार्य नहीं किए जा रहे हैं. इसके चलते आम लोगों का बीमार होना भी आम बात हो गई है.
स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कोई इंतजाम नहीं
लोगों की बीमारियों को देखते हुए जब ईटीवी भारत की टीम ने जिला स्वास्थ्य अधिकारी एम एल गुप्ता ने कहा कि ऐसे क्षेत्रों में लोगों को सांस लेने में तकलीफ और फेफड़े की बीमारी होती है.